नई दिल्ली : अपने समय की फेमस बॉलीवुड एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी अब आध्यात्मिक मार्ग पर चल पड़ी हैं। उन्होंने सांसारिक जीवन छोड़कर किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर के रूप में दीक्षा ले ली है। अब उनका नाम ‘ममता नंद गिरी’ हो गया है। 24 जनवरी 2025 को महाकुंभ में पवित्र स्नान और पिंडदान करने के बाद उन्होंने दीक्षा ली। अब उनका नाम ‘ममता नंद गिरी’ हो गया है। अभिनेत्री ममता कुलकर्णी के किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनने पर विवाद हो गया है।
किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर के रूप में ममता कुलकर्णी की नियुक्ति को लेकर संतों में अलग-अलग राय है। कुछ संतों का तर्क है कि इस तरह की उपाधि किसी को भी नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि उनका मानना है कि किसी व्यक्ति का चरित्र और आचरण ऐसी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए देखा जाना चाहिए। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि ममता कुलकर्णी का डी कंपनी से कनेक्शन रहा है। ऐसे में बिना उसकी जांच पड़ताल किए उन्हें महामंडलेश्वर क्यों बनाया गया।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने कहा कि ‘ममता को बहुत-बहुत आशीर्वाद और साधुवाद। वैराग्य कभी भी आ सकता है। मैं चाहूंगा कि सही मायने में महामंडलेश्वर का जो अर्थ है, अगर ममता जी उसके अनुसार चलेंगी तो पूरे देश में हमारी अध्यात्म परंपरा उच्च शिखर पर पहुंचेगी। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि का कहना है कि संन्यास का अधिकार सबको है। ममता को किन्नर अखाड़े से महामंडलेश्वर बनाए जाने को लेकर शांभवी पीठाधीश्वर श्री स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने कहा कि किन्नर अखाड़े को मान्यता देकर पिछले कुंभ में महापाप हुआ था, जिस प्रकार की अनुशासनहीनता हो रही है, वो बहुत घातक है। ये सनातन धर्म के साथ एक धोखा है, छल है।’ मैंने ममता से कहा कि इन लोगों के जाल में मत पड़ो। स्त्री के लिए संन्यास नहीं है। तमाम ऐसी परंपरा है, जिसमें तुम विरक्त होकर रह सकती हो। उन्होंने कहा कि ऐसी जगह न गिरो कि लोग तुम्हारे ऊपर थूकें। किन्नर अखाड़े को लोग मजाक में ले रहे हैं। वहां ज्ञान भक्ति की बात नहीं हो रही। कुंभ का मजाक बनाने का प्रयास हो रहा है। जब-जब अधर्म होगा, तब-तब मैं बोलूंगा। ममता का नाम बहुत बड़ा है। ये लोग उसके नाम पर व्यापार करेंगे। ममता कुलकर्णी का विषय बहुत घातक और धर्म के खिलाफ है।