मोगाः जिले में बाल मजदूरी के मामले में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के निर्देशों पर राष्ट्रीय अभियान समिति व जिला युवा विकास संगठन द्वारा सख्त कार्रवाई की गई। इस दौरान 8 परिवारों को बाल मजदूरी से मुक्त करवाया गया है। मिली जानकारी के अनुसार यह कार्रवाई चिरक रोड पर स्थित गांव संधु आना में संधु ईंट के भट्ठे पर की गई। बताया जा रहा है कि पंजाब से संगठन को 10 परिवारों द्वारा शिकायत दी गई थी। जिसमें 16 पुरुष 14 महिलाए 26 बच्चो की शिकायत प्राप्त हुई थी। इस शिकायत के बाद मौके पर 8 परिवारों में से 14 पुरुष, 11 महिलाएं, 21 बच्चे मुक्त करवाए गए। जिसमें पहले ही 2 परिवारों में से 2 पुरुष, 3 महिलाएं और 5 बच्चे डर के कारण समान छोड़कर मौके से भाग गए थे, जिनकी तलाश की जा रही है। बताया जा रहा है कि सभी परिवार पिछले 10 महीने से ईंटों के भट्ठे पर काम कर रहे थे। टीम को सूचना मिली थी की ईंटों के भट्ठे पर बच्चों व उनके परिवारों से बंधुआ मजदूरी करवाई जा रही हैं।
शिकायत मिलते ही बंधुआ मजदूरी अनमूलन के लिए राष्ट्रीय अभियान समिति से कनवीनर निर्मल गोराना, एडवोकेट विनोद कुमार सिंह, एडवोकेट गणेश कुमार व चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट व फॉर्मर मेम्बर हरियाणा राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग परमजीत सिंह बड़ौला चाइल्ड हरकत में आई और उन्होंने इसकी सूचना मोगा के डिप्टी कमिश्नर को दी गई। सूचना मिलते ही डिप्टी कमिश्नर द्वारा टीम गठित करने को लेकर उप विभागदीय अधिकारी को आदेश दिए गए। इस दौरान उन्होेंने कार्रवाई करते हुए टीम के गठन में तहसीलदार लखविंदर सिंह, नायब तहसीलदार गुरप्रीत कौर, लेबर इंस्पेक्टर रमनदीप शर्मा, चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर सुखबीर कौर, चंचल गोयल, जसदीप सिंह जिला बाल संरक्षण इकाई, एडवोकेट विमला, पुलिस विभाग से ए.एस.आई, जिला युवा विकास संगठन से अजय तिवारी, हाकम सिंह, हरविंदर सिंह को नियुक्त किया गया।
इस दौरान बाल मजदूरी पर एक्शन लेते हुए भट्ठे से सभी परिवारों को बाल मजदूरी से मुक्त करवाया गया। इस दौरान मजदूरों ने कहा कि उनके मालिक द्वारा एडवांस पैसा केकर उन्हें काम पर लाया गया था। उनका कहना है कि यहां पर उनके परिवार और बच्चों से जबरदस्ती काम करवाया जा रहा है और उन्हें काम की पूरा मेहनत भी नहीं मिल रही थी। मजदूरों का कहना है कि कभी एक हजार रुपए और कभी 2 हजार रुपए खर्चे के लिए उन्हें दिए जाते थे। पैसा मांगने पर उनके साथ गाली गलौच किया जाता था। इस मामले की शिकायत मिलने पर दिल्ली में मानिन्य राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग हरकत में आई और उन्होंने पंजाब प्रशासन के साथ मिलकर कार्रवाई करते हुए बाल मजदूरों को मुक्त करवाया।
दूसरी ओर इस मामले को लेकर भट्ठे के मालिक गुरचरण सिंह ने कहा कि उनके द्वारा समय-समय पर सभी मजदूरोंको एडवांस पैसा दिया जाता है। उन्होंने कहा कि सभी परिवार उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से संबंधित है और उनके एक पुराने ठेकेदार है जो इन सभी को काम के लिए लेकर आए थे। बच्चों से बाल मजदूरी को लेकर गुरचरण ने कहा कि वह अपनी मर्जी से मजदूरी कर रहे है, किसी से भी कोई जबरदस्ती काम नहीं करवाया जाता।
वहीं एसडीएम ने कहा कि मोगा डीसी के पास माननीय राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की ओर से एक ऑडर आया था कि मोगा के गांव संधु आना गांव में ईट भट्ठे पर कुछ मजदूरों से जबरदस्ती काम करवाया जाता है। जिसके बाद मोगा प्रशासन की ओर से एक टीम बनाई गई थी और कुछ संगठन के टीम और पुलिस के संयोग से 11 परिवार का बयान दर्ज करवा कर उनको गांव भेज दिया गया है। वहीं इस मामले में बनती कार्रवाई की जा रही है।