नई दिल्ली : करवा चौथ एक महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है, जिसमें विवाहित महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए उपवास करती हैं, इस दिन कुछ खास सावधानियां बरतनी होती हैं, ताकि व्रत का पूरा फल प्राप्त हो सके। हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं करवा माता की पूजा करती है और अखंड सुहाग की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। धार्मिक मान्यता है कि यह व्रत सुख और सौभाग्य लाता है। इस दिन कुछ गलतियों से व्रत का फल प्रभावित हो सकता है, इसलिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि क्या करें और क्या न करें।
करवा चौथ का महत्व
शास्त्रों के अनुसार माता पार्वती ने शिव को पाने के लिए करवा चौथ रखा था। इसी व्रत के बाद ही उनका विवाह शिव से हुआ। इसके बाद से ही करवाचौथ व्रत की शुरुआत हुई। ये व्रत दांपत्य जीवन में अपार खुशियां लेकर आता है। मान्यता है जो सुहागिन स्त्री इस दिन अन्न-जल का त्याग कर व्रत रखती हैं उसके सुहाग पर कभी कोई आंच नहीं आती। साथ ही कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना से इस व्रत को रखती हैं।
करवा चौथ पूजा का मुहूर्त
पंचांग के अनुसार इस साल की चतुर्थी तिथि 19 अक्टूबर को शाम 6:16 बजे से शुरू होगी और 20 अक्टूबर को दोपहर 3:46 बजे समाप्त होगी। पूजा का शुभ समय शाम 5:47 से 7:04 बजे के बीच रहेगा, जबकि व्रत का समय सुबह 6:34 से शाम 7:22 बजे तक होगा। सुबह जल्दी उठें, स्नान करें, और पूजा के साथ व्रत का संकल्प लें। सुहागिनों को सोलह श्रृंगार करना चाहिए और रात को चंद्रमा का दर्शन करके व्रत का पारण करना चाहिए। श्रद्धा अनुसार दान करना भी शुभ है।
करवा चौथ पर न करने योग्य क्रियाएँ
इस दिन देर तक सोना, अपशब्द बोलना, श्रृंगार की चीजें साझा करना, काले वस्त्र पहनना, झूठ बोलना, और पति-पत्नी के बीच झगड़ा करना नहीं चाहिए। व्रत के बाद तामसिक भोजन से भी बचना चाहिए।
व्रत की भावना का उल्लंघन
इस दिन केवल शारीरिक उपवास नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक रूप से भी उपवास रखना आवश्यक है, ध्यान और प्रार्थना करें, ताकि व्रत का फल पूर्ण हो सके। इस दिन की पूजा और व्रत से न केवल पति-पत्नी के संबंधों में मिठास आती है, बल्कि परिवार में सुख-शांति भी बनी रहती है।