नई दिल्लीः बांग्लादेश सरकार ने पूरे देश में कर्फ्यू लागू कर दिया गया है। सरकार ने दंगाइयों को ‘देखते ही गोली मारने’ के आदेश दिए हैं। विश्वविद्यालय परिसरों से शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन पूरे देश में फैल गया है। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने प्रदर्शनकारियों की तुलना उन लोगों से करके तनाव को और बढ़ा दिया, जिन्होंने 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पाकिस्तान का सहयोग किया था।
बांग्लादेश की शीर्ष आज अदालत उस विवादास्पद कोटा सिस्टम पर अपना फैसला सुना सकती है, जिसने विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा देशव्यापी आंदोलन को जन्म दिया है। सुप्रीम कोर्ट इस बात पर फैसला सुनाने वाला है कि सिविल सर्विस जॉब कोटा को खत्म किया जाए या ना।
बता दें कि बांग्लादेश में 1971 मुक्ति संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण मिलता है। साल 2018 में इस कोटा सिस्टम के विरोध में बांग्लादेश में हिंसक छात्र आंदोलन हुआ था। शेख हसीना सरकार ने तब कोटा सिस्टम को निलंबित करने का फैसला किया था। मुक्ति संग्राम स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों ने सरकार के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने पिछले महीने शेख हसीना सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था और कोटा सिस्टम को बरकरार रखने का फैसला सुनाया था.
हसीना के आवास पर 14 जुलाई को एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान, जब प्रधानमंत्री से छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने जवाब देते हुए बताया, कि ‘यदि स्वतंत्रता सेनानियों के पोते-पोतियों को (कोटा) लाभ नहीं मिलेगा, तो क्या रजाकारों के पोते-पोतियों को मिलेगा?’ प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस बयान के बाद प्रदर्शनकारी छात्र और उग्र हो गए, जिससे पहले से ही तनावपूर्ण स्थिति और बढ़ गई। उन्होंने जवाब में ‘तुई के? अमी के? रजाकार, रजाकार! (आप कौन? मैं कौन? रजाकार, रजाकार!) के नारे लगाने शुरू कर दिए।’
अदालत के इस फैसले के बाद पूरे बांग्लादेश में हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया, बसों और ट्रेनों में आग लगा दि। हालात इतने बेकाबू हो गए कि हसीना सरकार को सड़कों पर सेना उतारनी पड़ी। कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़पें हुईं। इन विरोध प्रदर्शनों में अब तक 133 लोगों की मौत हो चुकी है और 3000 से ज्यादा घायल हुए हैं, जो अब भी जारी है। देश में रेल सेवाओं और सार्वजनिक परिवहन प्रणाली पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है।
बांग्लादेश के विभिन्न शिक्षण संस्थानों में पढ़ रहे लगभग 1000 भारतीय छात्र स्वदेश लौट आए हैं। विदेश मंत्रालय के मुताबिक बांग्लादेश में कुल 15000 के करीब भारतीय हैं। स्थानीय भारतीय दूतावास ने किसी भी मदद के लिए भारतीयों से संपर्क करने को कहा है। साथ ही 24×7 हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं।