तिरुवनंतपुरम। केरल में राजनीतिक हत्याओं का दौर जारी है। शनिवार को पुलिस ने बताया कि सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया और भारतीय जनता पार्टी के दो नेताओं की कथित तौर पर हत्या कर दी गई। यह हत्याएं अलाप्पुझा में हुईं। पुलिस के मुताबिक बीजेपी नेता की हत्या के मामले में 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें से कुछ के सीधे तौर पर मामले में शामिल होने की आशंका जताई जा रही है। एक के बाद एक राजनीतिक हत्याओं के बाद जिले में तनाव है और आगे कोई अप्रिय स्थिति ना हो ऐसे में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी जिले में पहुंच गए हैं। 12 घंटे से भी कम समय में दो राजनीतिक हत्याओं ने राज्य को झकझोर कर रख दिया और जिले में दो दिनों के लिए निषेधाज्ञा (धारा 144) लगा दी गई।
SDPI के राज्य सचिव 38 वर्षीय शान केएस की शनिवार की रात अज्ञात गिरोह ने चाकू मारकर हत्या कर दी थी. 12 घंटे से भी कम समय में भाजपा ओबीसी मोर्चा के नेता रंजीत श्रीनिवासन की रविवार को उनके घर के बाहर हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने कहा कि भाजपा नेता सुबह की सैर के लिए निकले थे, तभी 8 हमलावरों ने उन पर हमला किया और उन्हें चाकू मार दिया. अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई।
SDPI नेता पर उस समय हमला किया गया, जब वह अपने स्कूटर पर मन्नाचेरी में घर लौट रहे थे। पुलिस ने कहा कि एक कार में आए हमलावरों ने पहले उसके दोपहिया वाहन को टक्कर मार दी और नीचे गिरने पर उसे बार-बार चाकू मार दिया। पीड़ित को कई फ्रैक्चर और सिर में चोटें आईं और बाद में एर्नाकुलम के एक निजी अस्पताल में उसकी मौत हो गई। उनके परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं।
केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने अलाप्पुझा में दो राजनीतिक हत्याओं की निंदा की और कहा ‘सरकार किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं देगी। ऐसे अपराधियों से सख्ती से निपटा जाएगा।’ पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की राजनीतिक शाखा, SDPI ने हमले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शामिल होने का आरोप लगाया, लेकिन RSS के जिला नेताओं ने इससे इनकार किया।
कांग्रेस नेता रमेश चेन्नीथला ने नेताओं से कार्यकर्ताओं पर लगाम लगाने को कहा और बार-बार होने वाली राजनीतिक हत्याओं के लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि ‘ऐसा लगता है कि दोनों हत्याओं की योजना बनाई गई थीं। पुलिस को ऐसी हत्याओं की जांच के लिए पूरी छूट देनी चाहिए।’ स्थानीय विधायक और माकपा नेता जे चित्तरंजन ने कहा कि पार्टियों को हिंसा की राजनीति छोड़ देनी चाहिए।