नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक नई राजनीतिक रणनीति के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यों के लिए आरएसएस से जवाब मांगा। केजरीवाल ने यह कहकर मोदी का कद कम दिखाने की कोशिश की कि आरएसएस ही मुखिया है और उसे अपने बच्चों को नियंत्रण में रखना चाहिए।
केजरीवाल ने एक रैली में कहा, “क्या बेटा अब इतना बड़ा हो गया है कि वह अपनी मां को आंख दिखा रहा है?” इस रैली में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत से पांच सवाल किए। केजरीवाल ने पूछा कि क्या आरएसएस केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर राजनीतिक दलों को तोड़ने, विपक्षी दलों की सरकारें गिराने और “भ्रष्ट” नेताओं को अपने पाले में करने की भाजपा की राजनीति से सहमत है।
मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद जंतर-मंतर पर अपनी पहली सार्वजनिक सभा ‘जनता की अदालत’ में केजरीवाल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत से पांच सवाल पूछे, जिनमें एक सवाल यह भी था कि क्या सेवानिवृत्ति की आयु से संबंधित भाजपा का नियम मोदी पर भी लागू होता है, जैसा कि लालकृष्ण आडवाणी पर लागू हुआ था।
उन्होंने भागवत से पूछा कि क्या वह राजनीतिक नेताओं को ‘‘भ्रष्ट’’ कहने और फिर उन्हें अपने पाले में शामिल करने की भाजपा की राजनीति से सहमत हैं। केजरीवाल ने एक अन्य सवाल में भागवत से पूछा कि जब भाजपा प्रमुख जे.पी. नड्डा ने कहा कि उनकी पार्टी को अपने वैचारिक मार्गदर्शक आरएसएस की जरूरत नहीं है, तो उन्हें कैसा लगा।
केजरीवाल जब जंतर-मंतर पर सभा को संबोधित कर रहे थे, तब भाजपा महज एक किलोमीटर दूर कनॉट प्लेस में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उनके और ‘आप’ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही थी। भाजपा ने इसी मुद्दे पर राजघाट पर केजरीवाल के खिलाफ एक और विरोध प्रदर्शन आयोजित किया। दूसरी ओर, जंतर-मंतर ‘आप’ के विशिष्ट नीले और पीले रंगों से सराबोर था।
रैली स्थल के आसपास सैकड़ों समर्थकों ने बैनर लगा रखे थे, जिन पर केजरीवाल को “हम में से एक” और निर्दोष बताया गया। जैसे ही केजरीवाल मंच पर आए, मंच “न रुकेगा, न झुकेगा…” के नारों से गूंज उठा, जबकि कुछ ‘आप’ समर्थक “हमारे केजरीवाल ईमानदार हैं” लिखे संदेश वाले पोस्टर लिए हुए थे।
आबकारी नीति मामले में पांच महीने से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद 13 सितंबर को तिहाड़ जेल से जमानत पर रिहा हुए केजरीवाल ने कहा कि वह देश की सेवा के लिए राजनीति में आए, न कि किसी सत्ता या पद के लालच में। पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उन्होंने अपने खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों से आहत होकर इस्तीफा दिया है और पिछले 10 वर्षों में उन्होंने पैसा नहीं, बल्कि केवल सम्मान कमाया है।