चंडीगढ़ः पंजाब में 4 सीटों पर होने वाले विधानसभा उप चुनाव को लेकर सियासत गरमा गई है। अकाली दल को छोड़कर कांग्रेस, आप और भाजपा ने चुनावों को लेकर कमर कस ली है और चुनावी रैलियां शुरू कर दी है। इस दौरान पार्टियों के नेताओं द्वारा एक-दूसरी पार्टी पर आरोप-प्रत्योप लगाए जा रहे है। वहीं हाल ही में केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू द्वारा दिए जाने वाले बयानों को लेकर भाजपा पार्टी में नई मुसीबत खड़ी हो गई है। दरअसल, बिट्टू के बयानों को लेकर विरोधी सक्रिय हो गए हैं।
हाल ही में बिट्टू के मुख्यमंत्री के पद वाले बयान को लेकर कांग्रेस सासंद चरणजीत सिंह चन्नी ने निशाना साधा। बरनाला में चुनावी रैली के दौरान चन्नी ने बिट्टू के सीएम बनने वाले बयान पर निशाना साधते हुए कहा कि नीटू शटरां वाला सीएम बन सकता है, लेकिन बिट्टू सीएम नहीं बन सकते। वहीं बिट्टू के बयान उनकी ही पार्टी के लिए चिंताजनक साबित हो रहे हैं। रवनीत बिट्टू ने खुद को मुख्यमंत्री पद का प्रमुख दावेदार बताने के मामले में भाजपा पार्टी के अंदर चर्चा छिड़ गई। इस पर पार्टी के वरिष्ठ नेता हरजीत ग्रेवाल ने कहा कि अगर रवनीत बिट्टू को दावेदारी करनी है तो उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पद पर दावेदारी करनी चाहिए।
अब चारों सीटें ग्रामीण इलाकों में हैं, जहां जाट सिख वोट बैंक काफी अहम है। ऐसे में रवनीत बिट्टू ने किसान नेताओं की प्रॉपर्टियों की जांच कराने का बयान दिया है। इससे न सिर्फ किसान नाराज हुए, बल्कि विरोधियों ने भी भाजपा से स्पष्टीकरण की मांग की। अब रवनीत बिट्टू ने चूरा-पोस्त और अफीम के ठेके दोबारा खोलने का बयान दे दिया है। उनका कहना है कि वे इस बारे में केंद्र सरकार से बात करेंगे और जब पंजाब में हरित क्रांति आई तो लोगों को पोस्त की लत लग गई।
इस पर विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा है कि ऐसा लगता है कि रवनीत बिट्टू अपना होश खो बैठे हैं। उन्होंने कहा कि बिट्टू को याद रखना चाहिए कि हरित क्रांति पारंपरिक दवाओं के सेवन से नहीं, बल्कि पंजाबी किसानों की लगन और कड़ी मेहनत से आई है। उन्होंने कहा कि रवनीत बिट्टू को अपने बयान के लिए पंजाब के किसानों से माफी मांगनी चाहिए। रवनीत बिट्टू के बयानों पर बात करते हुए कई भाजपा नेताओं का कहना है कि बिना वजन वाले बयानों से पार्टी को चारों सीटों पर भारी नुकसान हो सकता है।