नई दिल्ली: कनाडा में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सरकार द्वारा लगातार विदेशी स्टूडेंट को झटके दिए जा रहे है। दरअसल, हर महीने वीजा नियमों में या विदेशी कामगारों को नौकरी देने के नियमों में बदलाव कर रही है। एक वक्त रहने और बसने के लिए सबसे बेहतरीन जगह माने जाने वाले कनाडा में अब हालात लगातार बदल रहे हैं। इसी कड़ी में ट्रूडो सरकार ने कनाडा में ‘टेंपरेरी फॉरेन वर्कर प्रोग्राम’ में बदलाव किया है, ताकि इस योजना का दुरुपयोग रोका जा सके। साथ ही इस योजना के जरिए लोगों के साथ धोखाधड़ी से बचाया जा सके।
दरअसल, कनाडा में ‘टेंपरेरी फॉरेन वर्कर’ (TFW) प्रोग्राम के जरिए कनाडाई कंपनियां या नियोक्ता विदेशी कामगारों की भर्ती करते हैं। उनके पास ऐसा करने का विकल्प तभी होता है, जब उन्हें कनाडा में अच्छे या योग्य लोग काम के लिए नहीं मिलें। हालांकि, कनाडाई सरकार का कहना है कि देश में प्रतिभाशाली कामगारों को काम पर रखने से बचने और इसके बजाय विदेशी वर्कर्स पर भरोसा करने के लिए ‘टेंपरेरी फॉरेन वर्कर’ (TFW) प्रोग्राम का दुरुपयोग किया गया है।
सरकार ने कहा है कि अब ‘टेंपरेरी फॉरेन वर्कर’ प्रोग्राम का इस्तेमाल कर विदेशी कामगारों की भर्ती से पहले कंपनियों को ‘लेबर मार्केट इम्पैक्ट असेसमेंट’ (LMIA) करना होगा, जिसमें उन्हें साबित करना होगा कि जिस नौकरी पर वह विदेशी कामगार को रख रही हैं, उसे करने के लिए यहां देश में कोई भी योग्य नागरिक नहीं है। सरकार चाहती है कि कनाडाई कंपनियां और नियोक्ता इस प्रोग्राम पर से अपनी निर्भरता को कम करें। TFW प्रोग्राम को लेकर नए नियम 26 सितंबर यानी आज से लागू हो रहे हैं।
कनाडा सरकार 6% या उससे अधिक की बेरोजगारी दर वाले महानगरीय क्षेत्रों में LMIA प्रोसेस करने से इनकार करने वाली है। खाद्य सुरक्षा क्षेत्रों (कृषि, फूड प्रोसेसिंग और फिश प्रोसेसिंग), साथ ही कंस्ट्रक्शन और हेल्थकेयर में सीजनल और नॉन-सीजनल नौकरियों के लिए LMIA प्रोसेस किया जाएगा। नियोक्ताओं को TFW प्रोग्राम के जरिए अपने कुल वर्कफोर्स के 10% से ज्यादा विदेशी कामगार को नौकरी पर रखने की अनुमति नहीं होगी। TFW प्रोग्राम के तहत रखे गए लोगों की नौकरी की अवधि सिर्फ एक साल कर दी गई है, जो पहले दो साल हुआ करती थी।
कनाडा में हुए इस बदलाव का असर भारतीयों पर भी दिखने वाला है। इसकी वजह ये है कि पंजाब-हरियाणा समेत देश के कई हिस्सों से लोग कनाडा में काम करने जाते हैं। इनमें से ज्यादातर लोग लो स्किल वाली नौकरियां करते हैं, जैसे खेत पर काम करना। इन लोगों को बहुत ही कंपनियां TFW प्रोग्राम के तहत ही नौकरियों पर रखती थीं। मगर नियमों में बदलाव से अब नौकरी पर रखना मुश्किल होने वाला है।