बद्दी/ सचिन बैंसल: भारत विकास परिषद ने पश्चमी सभ्यता को छोड़ कर सनातन को अपनाने का बीड़ा उठाया है। परिषद से जुड़े सभी सदस्यों ने अपने परिवार के बच्चों को जन्म दिन पर केक न काट कर गरीब व जरूरत मंद लोगों को भोजन कराने का फैसला लिया है। इसी कड़ी में परिषद की सदस्य प्रेमलता ठाकुर ने अपने बेटे के जन्म पर दिन काठा स्थित ईएसआईसी अस्पताल परिसर में लंगर की व्यवस्था की। जिसमें अस्पताल में रोगियों के तमीरदार व मजदूरों ने भोजन ग्रहण किया।
बद्दी शाखा के अध्यक्ष रमन कौशल ने कहा कि हमारे सनातन धर्म में जन्म दिन पर उपहार लेने की बजाए दान करने की पंरपरा रही है। केक काट कर जन्म दिन मनाया यह पश्चमी सभ्यता का प्रतीक है। सनातन में किसी चीज को काट कर उस पर खुशी मनाने नहीं उसी चीज को जोडऩे की पंरपरा रही है। परिषद ने अपने सदस्यों के बच्चों के जन्म दिन पर जरूरत मंदो के लिए भोजन कराने की पंरपरा शुरू कर दी है। वीरवार से यह पंरपरा शुरू हो गई है। इसके अलावा समाज में और भी इस पंरपरा को अपनाना चाहता है तो भारत विकास परिषद व सब की सेवा रब की सेवा ट्रस्ट पंचकूला उसका स्वागत करती है।
शाखा के महासचिव देवव्रत यादव ने कहा कि अब हमारा समाज वापस पुरानी पंरपराओ के जुडऩे जा रहा है। इसकी शुरूआत होनी शुरू हो गई है। कोई व्यक्ति भारत विकास परिषद से जुड़ कर अपने परिवार के सदस्यों के खुशी के मौके पर भोजन का प्रंबध करा सकता है। परिषद उसके इस आयोजन में पूरा सहयोग करेगा। समाज सेवक कृष्ण कौशल ने कहा कि कुछ लोग हमारे सनातन को अलग ढंग से पेश कर रहे है। किताबो में भी ऐसा दिखा कर सनातन धर्म का दुष्पचार हो रहा है।
मिट्टी का माधो, गोबर गणेश, बलग में छुरी मुंह में राम राम आदि मुहाबरो में हमारे देवी देवताओं को जोड़ कर उनका अपमना हो रहा है। शिव भगवान के हाध में चिलम पकड़ा कर उसे नशेडी के रूप में पेश किया जा रहा है। जबकि उन्होंने कभी नशा नहीं है। वह समुद्र मथन के बाद अमृत देवताओ ने पी लिया जो जहर बचा उसके लिए कोई आगे नहीं आ रहा था। धरती माता को बचाने के लिए भगवान शिव ने विष पिया न की वह नशेड़ी थे। किसी भी वेद व शास्त्र में शिवजी को नशा करने का आदी नहीं बताया गया।