किसान नेता डल्लेवाल की हालत नाजुक
चंडीगढ़ : किसानों के हक की लड़ाई लड़ते हुए आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है। सोमवार को डल्लेवाल का अनशन 28वें दिन में प्रवेश कर गए है। इस दौरान यह किसान नेता चलने-फिरने में भी लाचार हो गया है, उनसे खड़ा तक नहीं हो पाया जा रहा। वहीं उनके शरीर के अहम अंग काम करना कम कर गए हैं। इसी के चलते उनकी सेहत में लगातार गिरावट आती जा रही है।
उनकी देखभाल के लिए किसान मोर्चा की ओर से तैनात डॉ. स्वयमान की टीम के डॉक्टरों का कहना है कि डल्लेवाल की सेहत में लगातार गिरावट आ रही है। डॉ. स्वयमान ने कहा कि डल्लेवाल की हालत इतनी नाजुक है कि वह खड़े भी नहीं हो पा रहे। उन्हें यूरिन भी बेड पर कराया जा रहा है। लगातार भूखे रहने से उनका ब्लड प्रेशर व हार्ट बीट लगातार ऊपर-नीचे हो रही है। अनशन का बुरा असर डल्लेवाल की किडनियों व लिवर पर भी पड़ा है। डॉ. स्वयमान ने कहा कि सियासत अपनी जगह ठीक है, लेकिन इसकी वजह से किसी की जान के साथ खेलना नहीं चाहिए। यह गलती ठीक की जानी चाहिए, वरना पंजाब अपने एक बड़े किसान नेता को गंवा देगा।
क्योंकि डल्लेवाल पहले से ही कैंसर से पीड़ित हैं और अनशन की वजह से उनका वजन बहुत घट गया है। वहीं सरवन सिंह पंधेर ने वीडियो जारी करते हुए किसान आंदोलन की अगली नीति को लेकर ऐलान किया है। जिसमें उन्होंने कहा कि कल यानी 24 दिसंबर को पंजाब को छोड़कर दूसरे राज्यों में 5 बजे के बाद कैंडल मार्च निकाला जाएगा। इसके बाद 26 दिसंबर को पंजाब को छोड़कर जिला हेडक्वार्टर तहसीलों के बाहर भूख हड़ताल की जाएगी। उन्होंने कहा कि भारत द्वारा खेती मंडी को निजी कंपनियों को देने का ऐलान किया है। इसको लेकर पंजाब सहित सभी राज्यों को पत्र भी केंद्र द्वारा भेजा गया है। केंद्र को लगता है कि पंजाब इसको लागू कर लेंगी।
पंधेर ने दोनों बॉर्डरों पर बैठे किसान नेताओं ने फैसला करते हुए पंजाब सरकार से अपील की है कि सीएम भगवंत मान विधानसभा का अजलास बुलाकर उसमें खेती को निजी हाथों में देने के फैसले को रद्द कर दें। इसी के साथ किसानों की मांगों को लेकर मत्ता पास किया जाए। उन्होंने कहा कि 140 करोड़ों तक किसानों की आवाज जिस तरह से जा रही है, ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि मोदी सरकार को उनकी मांगों को मानना पड़ेंगा। पंधेर ने पंजाबियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि वह जमकर उनका सहयोग कर रहे हैं, वहीं कड़ाके की ठंड में किसानों को हौंसले बुलंंद है। शहीदी पर्व चल रहे है, ऐसे में 27 को छोटे साहिबों के शहीदी दिवस को भी बॉर्डर पर किसानों द्वारा मनाया जाएगा।