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अमृतसरः अमेरिका में नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पद संभालते ही अवैध प्रवासियों पर शिकंजा कस दिया। जिसके चलते 104 भारतीयों को डिपोर्ट किया गया। बीते दिन पंजाब के अमृतसर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर अमेरिकी सेना के विमान में 104 भारतीय सवार थे। इनमें 25 महिलाएं और 12 नाबालिग शामिल थे। ज्यादातर की उम्र 30 साल से कम थी, जो उज्जवल भविष्य के सपने लेकर अमेरिकी धरती पर उतरे थे। लेकिन उन्हें वापस लौटना पड़ा। डिपोर्ट हुए यात्रियों में आकाशदीप सिंह भी शामिल था जो भारत-पाकिस्तान सीमा से 1 किलोमीटर से भी कम दूरी पर स्थित राजाताल गांव में रहता है।
20 वर्षीय आकाशदीप सिंह करीब 7 महीने पहले विदेश गया था। वह पहले दुबई गया और वहां एजेंटों के बहकावे में आकर डंकी रूट अपना लिया। आकाशदीप सिंह के पिता स्वर्ण सिंह ने जानकारी दी कि उनका बेटा करीब 7 महीने पहले ही घर से निकल गया था। 5 लाख रुपए खर्च कर पहले वे दुबई में गया। जहां उसने साढे 5 महीने काम किया। लेकिन कुछ महीने पहले ही उसने फोन कर अमेरिका जाने की बात कही। जब पिता ने कहा कि पैसे बहुत लग जाएंगे तो उसका जवाब था, पापा पैसे जाकर भी कमा लेंगे। आप 45 लाख रुपए का इंतजाम करो। स्वर्ण सिंह ने बताया कि वह बहुत छोटा किसान है। उसके पास सिर्फ ढाई किल्ले जमीन थी।
जिसमें से उसने 6 कनाल जमीन बेच दी और बाकी बैंक में गिरवी रख दी। इतना ही नहीं उसकी मां के नाम भी कुछ जमीन थी, जिसके लिए बैंक से लिमिट बनवाई हुई थी। अब उसे चिंता है कि कर्ज और मूलधन कैसे चुकाया जाए। 45 लाख का इंतजाम करके उसने आकाशदीप को पैसे भेजे। इसके बाद आकाशदीप अमेरिका चला गया। 10 दिन तक उससे संपर्क नहीं हुआ। पता चला कि जैसे ही वह अमेरिका की सीमा पार कर गया, उसे पकड़कर कैंप में भेज दिया गया। दूसरी अमृतसर की युवती सुख (काल्पनिक नाम) थी। 26 वर्षीय सुख शादी के सपने लेकर विदेश गई थी। लेकिन अपने मंगेतर के पास पहुंचने से पहले ही उसे पकड़ लिया गया और डिपोर्ट कर दिया गया।
26 वर्षीय सुख अमृतसर एयरपोर्ट पर शादी के लिए अमेरिका गई थी। वह 2 जनवरी 2025 को स्पेन के रास्ते शेंगेन वीजा पर रवाना हुई और 20 दिन के भीतर अमेरिका पहुंच गई। अमेरिका में उसके मामा की बहन अच्छी तरह से सेटल है, जिसने रिश्ता तय किया था। उसका मंगेतर पिछले सात साल से कैलिफोर्निया में है। परिवार को भरोसा था कि वह सुरक्षित पहुंच जाएगी और वहां अपने मंगेतर से शादी कर लेगी। लेकिन उनकी उम्मीदें धराशायी हो गईं। एक महीने के भीतर ही उसे डिपोर्ट कर दिया गया। सुख का परिवार भी किसान है। सुख को अमेरिका भेजने में परिवार ने करीब 40 लाख रुपए खर्च किए, जिसका कुछ हिस्सा उसके मंगेतर ने भी दिया।