अमृतसरः श्री दुर्गियाना मंदिर में स्थित विश्व प्रसिद्ध मंदिर श्री बड़ा हनुमान मंदिर में आज से लंगूर मेला शुरू हो गया। ढोल की थाप पर देश विदेश से आए श्रद्धालु सुबह से ही माथा टेकने पहुंच रहे हैं। शारदीय नवरात्रि में चलने वाले इस मेले में 10 दिन तक सुबह शाम लंगूर बने बच्चे माथा टेकने पहुंचते हैं। विश्व प्रसिद्ध लंगूर मेले की मान्यता है कि जो लोग यहां संतान प्राप्ति के लिए मन्नत मांगते हैं, उनकी मुराद अवश्य पूरी होती है।
संतान होने के बाद वह अपने बच्चों को लंगूर बनाकर माथा टिकवाते हैं। श्री बड़ा हनुमान मंदिर श्री रामायण कालीन युग से है। इस मंदिर में श्री हनुमान जी की बैठी अवस्था में मूर्ति है। प्रशासन ने ट्रैफिक की खास व्यवस्था की है ताकि मेले में आने वाले लोगों को परेशानी का सामना न करना पड़ा। हजारों की संख्या में बच्चे लंगूर की वेशभूषा में इस मंदिर में हर रोज 10 दिनों तक नतमस्तक होने आते हैं। इस मेले की खासियत यह है कि नवरात्र के पहले दिन से शुरू होता है और दशहरे के एक दिन बाद तक चलता है।
विश्व प्रसिद्ध लंगूर मेले को लेकर मान्यता है कि जो लोग यहां संतान प्राप्ति के लिए मन्नत मांगते हैं, उनकी मुराद अवश्य पूरी होती है। संतान होने के बाद वह अपने बच्चों को लंगूर बनाकर लाल कपड़े पहनाकर दस दिन तक नंगे पांव रहते हैं और माथा टिकवाते हैं। कहा जाता है कि यह मूर्ति श्री हनुमान जी ने स्वयं बनाई थी। यह वही मंदिर है, जहां लव-कुश और भगवान श्री राम जी की सेना के मध्य युद्ध हुआ था। तब लव-कुश ने इसी मंदिर में श्री हनुमान को वट वृक्ष से बांध दिया था। यह वट वृक्ष आज भी मंदिर परिसर में मौजूद है।
जब हनुमान जी बंधन मुक्त हुए तो श्री राम ने उनको आशीर्वाद दिया कि जहां उनकी संतान का मिलन हुआ है, वहां जो भी प्राणी संतान प्राप्ति की मनोकामना करेगा, पूरी होगी। इसलिए यहां परिवार संतान प्राप्ति की मनोकामना करते हैं। श्री बड़ा हनुमान मंदिर में लंगूरों के साथ साथ श्री हनुमान की सेना भी माथा टेकने पहुंचती हैं। शहर में कई टोलियों में हनुमान के स्वरूप बने युवक ढोल की थाप के साथ नाचते झूमते मंदिर आते हैं। यह सेना नौ दिनों तक व्रत रखती है और हनुमान जी का ध्यान करती है।