धर्मः हिंदू धर्म में वास्तु शास्त्र का विशेष महत्व है। दरअसल वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय वास्तुकला और डिजाइन प्रणाली है, जिसका उद्देश्य रहने और काम करने की जगहों के भीतर ऊर्जा प्रवाह को सामंजस्य और संतुलित करना है। घर में वास्तु का प्रयोग करने से परिवार के सदस्यों की उन्नति होती है और मानसिक शांति का अनुभव होता है। वहीं घर में अगर वास्तु दोष होता है तो रहने वाले सदस्यों के जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है, आर्थिक समस्याएं बनी रहती हैं, कोई ना कोई सदस्य बीमार रहता है आदि कई तरह की समस्याएं बनी रहती हैं। आइए सबसे पहले जानते हैं कि आपके घर में वास्तु दोष है या नहीं
वास्तु शास्त्र के अनुसार, जिस घर में बार बार लोगों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा हो या ना चाहने पर भी बेवजह के खर्चे अचानक सामने आ जाते हैं तो इसका मतलब है कि आपके घर में वास्तु दोष है। वहीं अगर घर में कोई ना कोई सदस्य लगातार बीमार रहता है और इलाज के बाद भी बीमारी सही नहीं हो रही है तो यह लक्षण वास्तु दोष के हैं।
कई बार घर का मेन गेट सही दिशा में ना होने की वजह से घर का वास्तु खराब हो जाता है और रहने वाले सदस्यों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जब किसी व्यक्ति की ग्रहों की दशा खराब हो जाती है तब नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह प्रारंभ हो जाता है, ऐसी परिस्थितियों में भी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
घर के वास्तु दोष को दूर करने के लिए समय समय पर रामचरितमानस का पाठ या सुंदरकांड का पाठ करवाते रहें। वहीं घर के किसी स्थान पर वास्तु दोष निर्माण हो रहा है तो पहले एक कपूर की टिकिया रख दें। जब वह टिकिया गलकर खत्म हो जाए तो दूसरी टिकिया रख दें। इस तरह कपूर की टिकिया को बदलते रहेंगे तो वास्तु दोष नहीं होगा।