नर्सिंग स्टाफ अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गया, मरीजों को झेलनी पड़ी परेशानी
कपूरथला/चंद्रशेखर कालिया: सिविल अस्पताल का नर्सिंग स्टाफ दो दिन की हड़ताल के बाद अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चला गया है। इस हड़ताल के कारण अस्पताल में इलाज के लिए आ रहे लोगों को परेशानी हुई। कपूरथला के सिविल अस्पताल में गांव नवां पिंड भट्ठे की 45 वर्षीय महिला गोगी की मौत हो गई।मृतक महिला के बेटे ने आरोप लगाया कि उनकी मां की मौत इलाज न मिलने के कारण हुई है। वह बिना इलाज के तड़पती रही मगर न कोई नर्स आई और न ही डॉक्टर आए। इसी तरह अस्पताल में अन्य मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ी। वहीं, एसएमओ डाॅ. संदीप धवन ने कहा कि महिला की हालत गंभीर थी। उसको प्राथमिक इलाज दिया गया मगर उसे बचाया नहीं जा सका। मंगत राम और राकेश कुमार पुत्र मनोहर लाल ने बताया कि उनकी मां गोगी की तबीयत सुबह अचानक बिगड़ने लगी। वे उन्हें करीब 9 बजे सिविल के इमरजेंसी वार्ड में लेकर आए। यहां उनका चेकअप करके नर्स ने एक इंजेक्शन लगाया और इमरजेंसी वार्ड में शिफ्ट कर दिया। दोनों बेटों ने कहा कि तीन घंटे तक उनकी मां तड़पती रही। ड्यूटी डॉक्टर और नर्स का ध्यान इस तरफ दिलाया मगर उनकी एक नहीं सुनी गई। 12:15 बजे उनकी मां की मौत हो गई। मंगत राम ने कहा कि अगर उन्हें हड़ताल का पता होता तो वे मां को प्राइवेट अस्पताल में ले जाते।नर्सिंग स्टाफ अपनी मांगों को लेकर इमरजेंसी वार्ड के बाहर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गया है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग व पंजाब सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। एसोसिएशन की प्रधान दलजीत कौर ने कहा कि पे-कमीशन की त्रुटियों को दूर किया जाए। डाइट, यूनिफार्म, नर्सिंग केयर, नाइट ड्यूटी अलाउंस, ट्रेवल अलाउंस दिए जाए। सितंबर 2020 में केंद्र के पे-स्केल पर रखे गए नर्सिंग स्टाफ पंजाब सरकार के अंडर लाया जाए। पुरानी पेंशन स्कीम बहाल की जाए। कर्मचारियों को पक्का किया जाए और आउटसोर्सिंग नर्सिंग स्टाफ को रेगुलर किया जाए। उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी गई, तब तक वह धरना प्रदर्शन करती रहेंगी। इस दौरान स्वास्थ्य सेवाओं पर असर पड़ा तो सारी जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग की होगी। उधर, सीएमओ डा. गुरिंदरबीर कौर ने बताया कि नर्सिंग स्टाफ का मांगपत्र विभाग को भेज दिया गया है। सिविल में 48 नर्सों की पोस्टें हैं, जिनमें 34 काम कर रही थी। उनके हड़ताल पर चले जाने से एनएचएम व ट्रेनर स्टूडेंट्स की मदद ली जा रही है। नर्सों की हड़ताल से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। गंभीर मरीजों के इलाज के लिए सिविल में भर्ती नहीं किया जा रहा।