लुधियानाः जिले में वेस्ट विधानसभा क्षेत्र से विधायक गुरप्रीत बस्सी गोगी के निधन के बाद से हलके की सीट खाली हो गई। जिसके बाद कुछ दिन पहले चुनाव आयोग ने इस विधानसभा सीट को रिक्त घोषित कर दिया। जारी पत्र के अनुसार सरकार को 6 महीने के अंदर इस सीट पर उपचुनाव करवाना होग। वहीं इस सीट को लेकर राजनीतिक माहौल गरमा गया है। दरअसल, अब गोगी का परिवार हलके के लोगों की सेवा में फिर से सक्रिय हो गया है। परिवार द्वारा गुरप्रीत गोगी के सोशल मीडिया पेज पर पोस्ट शेयर की गई है, पोस्ट में साफ तौर पर लिखा है – घर पर लोगों से मिलना और महत्वपूर्ण मुद्दों और समस्याओं को सुनना।
वहीं तस्वीरों में गोगी की पत्नी डॉ. सुखचैन कौर बस्सी की लोगों से मुलाकात कर रही है। इस पोस्ट के बाद इस सीट पर फिर से राजनीतिक माहौल बन गया है। आप पार्टी के सूत्रों के अनुसार पता चला है कि प्रदेश हाईकमान से हरी झंडी मिलने के बाद ही गोगी का परिवार एक बार फिर लोगों के बीच सक्रिय हो गया है। गोगी की पत्नी डॉ. सुखचैन कौर बस्सी पहले भी अपने वार्ड की पार्षद रह चुकी हैं लेकिन इस बार वह चुनाव हार गई थीं। हलके से गोगी के परिवार को सहानुभूति वोट जरूर मिल सकते हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में गोगी के कद का नेता ढूंढ पाना आप हाईकमान के लिए मुश्किल है। गोगी इस विधानसभा क्षेत्र से तीन बार पार्षद रह चुके हैं।
वे वर्ष 2002 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर पार्षद चुने गए थे। वर्ष 2007 में उनकी पत्नी सुखचैन कौर पार्षद बनीं। इसके बाद वर्ष 2012 से 2023 तक गोगी पार्षद रहे, लेकिन वर्ष 2022 में गोगी कांग्रेस छोड़कर आप में शामिल हो गए। वे हलका पश्चिम से टिकट लेकर पहली बार विधायक बने। गोगी ने हलका पश्चिम से भारत भूषण आशु को हराया। लुधियाना शहर के विधानसभा क्षेत्रों की बात करें तो यहां 7 शहरी क्षेत्र हैं। लेकिन वेस्ट हलका राजनीति का केंद्र माना जाता है। कॉरपोरेट जगत से लेकर हर बड़ा अधिकारी, ज्यादातर इसी हलके में रहता है।
शहर के बड़े क्लब और धार्मिक संस्थान सबसे ज्यादा इसी हलके में हैं। गोगी ने अपने बलबूते इस हलके से 10 पार्षद चुने हैं। इस कारण गोगी का परिवार कहीं न कहीं उनके द्वारा चुने गए पार्षदों को बेसहारा नहीं छोड़ना चाहता। कांग्रेस के पूर्व कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु गोगी से पहले हलका पश्चिमी से विधायक थे। गोगी के निधन के बाद कांग्रेस फिर आशु पर भरोसा जताते हुए उन्हें उपचुनाव में उतार सकती है। उपचुनाव में इस बार आशु का करियर भी दांव पर रहेगा, क्योंकि आशु की पत्नी ममता आशु निगम चुनाव हार गई हैं।