नई दिल्ली. कल और परसों, मतलब 16 और 17 दिसंबर को देश के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक बंद रहने वाले हैं, क्योंकि इनके कर्मचारी दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर जाने वाले हैं. SBI समेत बाकी बैंकों की तरफ से कर्मचारियों को हड़ताल न करने की अपील के बाद भी कर्मचारी यूनियन अपनी बात पर अड़े हुए हैं. बता दें कि ये हड़ताल बैंकों के निजीकरण के विरोध में है.
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट करके अपने कर्मचारियों से अपील की है. बैंक ने कहा है कि कोरोना महामारी को देखते हुए कर्मचारियों के इस हड़ताल से स्टेकहोल्डर्स को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. एसबीआई ने बैंक यूनियनों को बातचीत का न्यौता भी भेजा है.
वहीं, सेंट्रल बैंक ने भी अपने कर्मचारियों और यूनियनों को खत लिखकर कहा कि वे अपने सदस्यों को बैंक के बेहतरी के काम करें. पंजाब नेशनल बैंक ने भी ट्वीट के जरिए कर्मचारियों को हड़ताल पर न जाने की अपील की है.
अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि बैंकों के प्रबंधक लगातार बैंक एसोसिएशन और बैंक यूनियनों के संपर्क में हैं. वे लगातार इस हड़ताल को टालने की बात कर रहे हैं. गौरतलब है कि आम बजट 2021 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दो सरकारी बैंकों के निजीकरण करने का ऐलान किया था. हालांकि, सोमवार को वित्त मंत्री ने लोकसभा में निजीकरण को लेकर बनी कैबिनेट कमिटी पर कहा कि दो बैंक जिनका निजीकरण होना है, उसपर फैसला नहीं लिया गया है.
लोकसभा में एक सवाल के जवाब में सरकार ने कहा है कि 2021-22 के बजट में वर्ष के दौरान दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्राइवेटाइजेशन और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के रणनीतिक विनिवेश की नीति को मंजूरी देने की थी. विनिवेश से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विचार, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ, बैंक का चयन शामिल है, इस उद्देश्य के लिए नामित कैबिनेट समिति को सौंपा गया है. इस संबंध में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के लिए संबंधित कैबिनेट कमिटी द्वारा फैसला नहीं लिया गया है.