नई दिल्लीः बांग्लादेश में इस समय एक जटिल और संवेदनशील स्थिति बनी हुई है, जिसमें हिंदू समुदाय के खिलाफ हमलों और धार्मिक तनाव के साथ-साथ, ISKCON पर प्रतिबंध लगाने की संभावना को लेकर विवाद उत्पन्न हो रहा है। बांग्लादेश की सरकार ने ISKCON को धार्मिक कट्टरपंथी संगठन के रूप में पेश किया है, और इसके खिलाफ कदम उठाने की तैयारी की जा रही है।
इस मामले में, बांग्लादेश के अटॉर्नी जनरल ने यह दावा किया कि ISKCON एक कट्टरपंथी धार्मिक संगठन है, और इस पर प्रतिबंध लगाने के लिए सरकार ने तैयारियाँ शुरू कर दी हैं। बांग्लादेश के उच्च न्यायालय में इस मामले को लेकर एक याचिका दायर की गई, जिसमें सरकार से यह पूछा गया था कि वह इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करे। न्यायालय ने सरकार को आदेश दिया कि वह देश की मौजूदा स्थिति और सरकार के रुख के बारे में विस्तृत जानकारी पेश करे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कानून-व्यवस्था में कोई विघटन न हो।
यह स्थिति इस तथ्य को भी उजागर करती है कि बांग्लादेश में धार्मिक तनाव बढ़ रहा है, विशेष रूप से हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न की घटनाओं के बीच। ऐसे में, इस्कॉन जैसे धार्मिक संगठन पर प्रतिबंध लगाने की सरकार की योजना धार्मिक असहमति और सामाजिक ध्रुवीकरण को और बढ़ा सकती है।
यह भी महत्वपूर्ण है कि बांग्लादेश का संविधान धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा पर आधारित है, और कुछ समय पहले ही बांग्लादेश के एक राजनीतिक नेता ने संविधान से धर्मनिरपेक्षता शब्द हटाने की मांग की थी। यह स्थिति सरकार के लिए न केवल आंतरिक, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी संवेदनशील बनाती है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि बांग्लादेश में धार्मिक असहिष्णुता और कट्टरता के कारण वहां की सामाजिक और राजनीतिक संरचना पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है, और इसे लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी चिंतित है।