हेल्थ न्यूजः होम्योपैथी और एलोपैथी दोनों बीमारियों को ठीक करने की चिकित्सकीय पद्धति है। हालांकि दोनों के इलाज करने के तरीके में भारी अंतर है। एलौपेथ की दवाइयों में कंपाउड को ठोस, द्रव्य और गैस तीनों अवस्थाओं में इस्तेमाल किया जाता है, जबकि होम्योपैथिक दवाओं को आमतौर पर पतला बनाया जाता है, ताकि इसका साइड इफेक्ट्स न के बराबर हो। ऐसे में अक्सर इस बात को लेकर कंफ्यूजन रहती है कि कौन सी चिकित्सकीय पद्धति बेहतर होती है। जो लोग होम्योपैथ से इलाज कराते हैं उन्हें होम्योपैथ अच्छा लगता है। लेकिन ज्यादातर लोग होम्योपैथ से इलाज नहीं कराते। एक रिसर्च में यह चौंकाने वाली बात सामने आई है कि सामान्य बीमारियों में 2 साल से कम उम्र के बच्चों पर होम्योपैथिक का असर एलोपैथ से कहीं ज्यादा होता है।
इस अध्ययन में 24 महीनों से कम उम्र के 108 बच्चों को शामिल किया गया था। इन बच्चों का नियमित रूप से सामान्य परेशानियों जैसे कि बुखार, डायरिया, सांसों से संबंधित दिक्कतें आदि के लिए या तो होम्योपैथी के माध्यम से इलाज कराया जाता था या एलोपैथी के माध्यम से। अध्ययन में पाया कि जिन बच्चों का इलाज होम्योपैथिक माध्यम से कराया गया, वे एलोपैथ के माध्यम से इलाज कराने वालों की तुलना में कम बीमार पड़े। स्टडी में कहा गया कि होम्योपैथ माध्यम से इलाज कराने वाले 24 महीने से कम उम्र के बच्चे औसतन 5 दिन बीमार पड़े, जबकि पारंपरिक रूप से इलाज कराने वाले समूह के बच्चे औसतन 21 दिन बीमार रहे।