आईसीएआर-सीआईएफए भुवनेश्वर ने महत्वपूर्ण समझौते में मत्स्य पालन विभाग को प्रदान किया सिफाब्रूड फीड का फॉर्मूला
ऊना\सुशील पंडित: हिमाचल प्रदेश में मछलियों के पोषण और सही डाइट को सुनिश्चित करने के लिए एक क्रांतिकारी पहल की गई है। इस महत्वपूर्ण कदम के तहत, राज्य में अब मछलियों के लिए विशेष पौष्टिक आहार ‘सिफाब्रूड’ तैयार किया जाएगा। यह प्रयास भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-केन्द्रीय मीठाजल जलकृषि संस्थान भुवनेश्वर (आईसीएआर-सीआईएफए) और हिमाचल प्रदेश के मत्स्य पालन विभाग के बीच हुए एक महत्वपूर्ण समझौते के चलते संभव हो पाया है। सिफाब्रूड, जो विशेष रूप से मछलियों की प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया आहार है, प्रदेश के मत्स्य उद्योग के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है।
हिमाचल के मत्स्य पालन विभाग के निदेशक विवेक चंदेल ने बताया कि विभाग ने पहली बार इस तरह की एक महत्वपूर्ण साझेदारी की है। इसके तहत, आईसीएआर-सीआईएफए ने सिफाब्रूड फीड का फॉर्मूला मत्स्य पालन विभाग को प्रदान किया है, जो प्रदेश के मत्स्य पालन उद्योग में एक क्रांतिकारी बदलाव का मार्ग प्रशस्त करेगा।
दियोली के कार्प फार्म में उत्पादन
चंदेल ने बताया कि प्रदेश में पहले पहल सिफाब्रूड फीड का उत्पादन ऊना जिले के गगरेट उपमंडल स्थित दियोली स्थित कार्प फार्म में किया जा रहा है। यह फीड मछली प्रजनकों को न्यूनतम मूल्य पर उपलब्ध होगा, जिससे मछली पालन की लागत कम होगी और प्रजनन क्षमता में वृद्धि होगी। इससे प्रदेश में मछली प्रजनन और बीज उत्पादन की क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि होगी, जिससे मछली पालकों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज सालभर मिलते रहेंगे।
चंदेल ने बताया कि प्रदेश में पहले पहल सिफाब्रूड फीड का उत्पादन ऊना जिले के गगरेट उपमंडल स्थित दियोली स्थित कार्प फार्म में किया जा रहा है। यह फीड मछली प्रजनकों को न्यूनतम मूल्य पर उपलब्ध होगा, जिससे मछली पालन की लागत कम होगी और प्रजनन क्षमता में वृद्धि होगी। इससे प्रदेश में मछली प्रजनन और बीज उत्पादन की क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि होगी, जिससे मछली पालकों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज सालभर मिलते रहेंगे।
नीली क्रांति की दिशा में एक और कदम
हिमाचल सरकार मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में प्रदेश में ‘नीली क्रांति’ के अंतर्गत मछली पालन को स्वरोजगार का सशक्त माध्यम बनाने की दिशा में यह एक और महत्वपूर्ण कदम है।
हिमाचल सरकार मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में प्रदेश में ‘नीली क्रांति’ के अंतर्गत मछली पालन को स्वरोजगार का सशक्त माध्यम बनाने की दिशा में यह एक और महत्वपूर्ण कदम है।
आर्थिक समृद्धि के नए द्वार खोलेगा सिफाब्रूड
चंदेल के अनुसार, सिफाब्रूड फीड मछलियों की प्रजनन क्षमता में सुधार कर हिमाचल प्रदेश के मत्स्य उद्योग को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। इस नवाचार से मछलियों की प्रजनन दर में वृद्धि होगी, जिससे मछली पालकों की आय में बढ़ोतरी होगी और प्रदेश के मत्स्य पालन उद्योग में स्थायित्व आएगा।
चंदेल के अनुसार, सिफाब्रूड फीड मछलियों की प्रजनन क्षमता में सुधार कर हिमाचल प्रदेश के मत्स्य उद्योग को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। इस नवाचार से मछलियों की प्रजनन दर में वृद्धि होगी, जिससे मछली पालकों की आय में बढ़ोतरी होगी और प्रदेश के मत्स्य पालन उद्योग में स्थायित्व आएगा।
सिफाब्रूड के लाभ
सिफाब्रूड मछलियों के लिए अत्यंत पौष्टिक आहार है, जो उनकी प्रजनन क्षमता में तेजी से वृद्धि करता है। यह मछलियों के अंडों की गुणवत्ता में भी सुधार लाता है, जिससे उनका जीवन चक्र मजबूत होता है। इस आहार के उपयोग से मछलियों की वृद्धि दर तेज हो जाती है, जिससे मछली पालन उद्योग में उत्पादन क्षमता और आर्थिक लाभ में वृद्धि होती है। सिफाब्रूड फीड में गौजूद विटामिन्स और खनिज मछलियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं, जिससे वे विभिन्न बीमारियों से सुरक्षित रहती हैं।
सिफाब्रूड मछलियों के लिए अत्यंत पौष्टिक आहार है, जो उनकी प्रजनन क्षमता में तेजी से वृद्धि करता है। यह मछलियों के अंडों की गुणवत्ता में भी सुधार लाता है, जिससे उनका जीवन चक्र मजबूत होता है। इस आहार के उपयोग से मछलियों की वृद्धि दर तेज हो जाती है, जिससे मछली पालन उद्योग में उत्पादन क्षमता और आर्थिक लाभ में वृद्धि होती है। सिफाब्रूड फीड में गौजूद विटामिन्स और खनिज मछलियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं, जिससे वे विभिन्न बीमारियों से सुरक्षित रहती हैं।
पर्यावरण के अनुकूल आहार
सिफाब्रूड न केवल प्रजनन के लिए फायदेमंद है, बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी अनुकूल है। इसका उत्पादन प्रदेश की जलवायु और मछली प्रजनन चक्र के अनुरूप किया गया है, जिससे यह एक दीर्घकालिक और टिकाऊ समाधान प्रदान करता है।
सिफाब्रूड न केवल प्रजनन के लिए फायदेमंद है, बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी अनुकूल है। इसका उत्पादन प्रदेश की जलवायु और मछली प्रजनन चक्र के अनुरूप किया गया है, जिससे यह एक दीर्घकालिक और टिकाऊ समाधान प्रदान करता है।
मछली प्रजनकों के लिए बड़ी सौगात
हिमाचल की जलवायु के कारण अब तक मछलियां वर्ष में केवल एक बार प्रजनन करती हैं, क्योंकि प्रजनन करने के पश्चात दोबारा प्रजनन हेतु तैयार होने में मछली को एक वर्ष का समय लग जाता है। सिफाब्रूड की पौष्टिकता से मछली गर्मी के समय में केवल 45-से 50 दिन के भीतर दोबारा प्रजनन हेतु तैयार हो जाती है। जिससे मछली को कम से कम वर्ष में दो बार प्रजननित करवाया जा सकता है। इससे मछली बीज की कमी को पूरा करने में मदद मिलेगी, जो अब तक प्रदेश में मत्स्य पालन व्यवसाय के विकास में एक प्रमुख बाधा रही है।
हिमाचल की जलवायु के कारण अब तक मछलियां वर्ष में केवल एक बार प्रजनन करती हैं, क्योंकि प्रजनन करने के पश्चात दोबारा प्रजनन हेतु तैयार होने में मछली को एक वर्ष का समय लग जाता है। सिफाब्रूड की पौष्टिकता से मछली गर्मी के समय में केवल 45-से 50 दिन के भीतर दोबारा प्रजनन हेतु तैयार हो जाती है। जिससे मछली को कम से कम वर्ष में दो बार प्रजननित करवाया जा सकता है। इससे मछली बीज की कमी को पूरा करने में मदद मिलेगी, जो अब तक प्रदेश में मत्स्य पालन व्यवसाय के विकास में एक प्रमुख बाधा रही है।