नई दिल्ली : महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक उत्सव है जिसमें शाही स्नान का विशेष महत्व है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार महाकुंभ में शाही स्नान करने वाले मोक्ष को प्राप्त करते हैं। कुम्भ का उल्लेख वेदों में भी मिलता है इसलिए कुम्भ की महत्ता बढ़ जाती है। कुम्भ के सम्बन्ध में वेदों में अनेक महत्त्वपूर्ण मन्त्र मिलते हैं, जिनसे सिद्ध होता है कि कुम्भ अत्यन्त प्राचीन और वैदिक धर्म से ओत-प्रोत है। कुछ उदहारण वेदों में सिद्ध होते है।। कुंभ मेले में शाही स्नान सबसे महत्वपूर्ण भागों और अनुष्ठानों में से एक है। शाही स्नान के लिए कुछ तिथियां तय की जाती हैं।
महाकुंभ में शाही स्नान लोगों के लिए पूरी जिंदगी में एक बार मिलने वाला अवसर माना जाता है, क्योंकि महाकुंभ 144 साल बाद आता है। कुम्भ-पर्व में जाने वाला मनुष्य स्वयं दान-होमादि सत्कर्मों के फलस्वरूप अपने पापों को वैसे ही नष्ट करता है जैसे कुठार वन को काट देता है। जिस प्रकार गंगा नदी अपने तटों को काटती हुई प्रवाहित होती है, उसी प्रकार कुम्भ-पर्व मनुष्य के पूर्वसंचित कर्मों से प्राप्त हुए शारीरिक पापों को नष्ट करता है और नूतन (कच्चे) घड़े की तरह बादल को नष्ट-भ्रष्टकर संसार में सुवृष्टि प्रदान करता है महाकुंभ में स्नान करने से क्या फल मिलता है: शास्त्रों के अनुसार, महाकुंभ में स्नान व पूजा करने से कई गुना अधिक पु्ण्य फलों की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि कुंभ मेले में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कुंभ चार तरह के होते हैं, महाकुंभ, अर्ध कुंभ, पूर्ण कुंभ और माघ मेला
1. महाकुंभ: महाकुंभ 144 वर्षों में आयोजित होता है। ऐसी मान्यता है कि महाकुंभ मेला 12 पूर्ण कुंभ मेला के बाद आता है और यह सिर्फ प्रयागराज में ही लगता है।
2. अर्ध कुंभ: अर्ध कुंभ हर 6 वर्षों में लगता है। अर्ध कुंभ दो पूर्ण कुंभ मेला के बीच में आयोजित किया जाता है। अर्ध कुंभ का आयोजन हरिद्वार व प्रयागराज में किया जाता है।
3. पूर्ण कुंभ: पूर्ण कुंभ का आयोजन प्रत्येक 12 वर्षों में किया जाता है। यह चार पवित्र स्थानों हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक व उज्जैन में कहीं भी लग सकता है।
4. माघ मेला: माघ मेला का आयोजन हर साल किया जाता है। इसे छोटा कुंभ भी कहते हैं। यह प्रयागराज में माघ मास में किया जाता है। आमतौर पर यह जनवरी-फरवरी महीने में लगता है।