- पंजाब सरकार और SGPC ने मिलाया हाथ: दिवान टोडर मल हवेली की ऐतिहासिक धरोहर का पुनर्निर्माण होगा
- दिवान टोडर मल हवेली का गौरव लौटेगा: पंजाब सरकार और SGPC का ऐतिहासिक धरोहर संरक्षण पर बड़ा कदम
पंजाब, (चंडीगढ़) 10, अक्टूबर, 2024: पंजाब सरकार और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने दिवान टोडर मल हवेली, जो सिख इतिहास में एक महत्वपूर्ण धरोहर स्थल है, को पुनर्स्थापित करने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाया है। दिवान टोडर मल ने अपने साहस और बलिदान से सिख इतिहास में विशेष स्थान बनाया, जब उन्होंने साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह जी के अंतिम संस्कार के लिए अपनी संपत्ति को त्याग कर जमीन खरीदी थी। यह परियोजना इसी धरोहर स्थल को पुनर्जीवित करने की एक महत्त्वपूर्ण पहल है।
इतिहास के पुनरुद्धार का संकल्प:
दिवान टोडर मल की हवेली न केवल एक ऐतिहासिक स्थल है, बल्कि यह सिख आस्था और साहिबजादों के बलिदान की अमर कहानी का प्रतीक है। फतेहगढ़ साहिब में स्थित यह हवेली दिवान टोडर मल के उस महान कार्य को संजोए हुए है जब उन्होंने साहिबजादों के अंतिम संस्कार के लिए सोने की मुद्राओं से जमीन खरीदी थी। इस हवेली को सिख इतिहास के सबसे गौरवशाली पलों से जोड़ने के लिए सरकार और SGPC ने हाथ मिलाया है।
पंजाब सरकार और SGPC का संयुक्त प्रयास:
पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष, श्री कुलतार सिंह संधवां ने एक बैठक में इस धरोहर स्थल को पुनर्जीवित करने का आह्वान किया। उनका कहना है कि इस ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करना और आने वाली पीढ़ियों को इससे प्रेरणा लेने के लिए समर्पित करना बेहद आवश्यक है। इस परियोजना को सफल बनाने के लिए पंजाब पर्यटन एवं पुरातत्व विभाग, SGPC और दिवान टोडर मल हेरिटेज फाउंडेशन पंजाब का सहयोग मिलेगा।
धरोहर के पुनर्निर्माण में विशेषज्ञों की भूमिका:
इस परियोजना के तहत धरोहर के विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है, जिन्होंने हवेली की पुरानी संरचना और उसकी ऐतिहासिक विरासत की पूरी जानकारी का अध्ययन किया है। दिवान टोडर मल हेरिटेज फाउंडेशन के अध्यक्ष लखविंदर सिंह काहनेके ने बताया कि हवेली को 1911 की तस्वीरों के आधार पर उसके मूल रूप में बहाल किया जाएगा, जो ब्रिटिश लाइब्रेरी से प्राप्त की गई हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह धरोहर सिख आस्था के मूल्यों को संरक्षित रखने और साहिबजादों के बलिदान की कहानी को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाने का एक महत्त्वपूर्ण कदम होगा। फाउंडेशन ने हवेली के पुनर्निर्माण के लिए डेढ़ एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर लिया है और सरकार के सहयोग से इसका काम तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा।
धरोहर संरक्षण का महत्व:
सिख इतिहास के इस महत्वपूर्ण स्थल की बहाली से न केवल फतेहगढ़ साहिब को एक नया पहचान मिलेगी, बल्कि यह स्थल धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों के पुनर्निर्माण के क्षेत्र में एक उदाहरण पेश करेगा। इस पुनर्निर्माण परियोजना से स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय श्रद्धालुओं के लिए पर्यटन का एक बड़ा केंद्र बनने की संभावना है, जिससे पंजाब के सांस्कृतिक धरोहर संरक्षण में बड़ी सफलता मिलेगी।
परियोजना के प्रमुख लाभार्थी:
इस परियोजना का उद्देश्य सिख आस्था के इस महत्त्वपूर्ण धरोहर स्थल को पुनर्जीवित करना और इसे भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखना है। पंजाब सरकार और SGPC के इस प्रयास से साहिबजादों के बलिदान की अमर गाथा को नए रूप में प्रस्तुत किया जाएगा, जो सिख इतिहास और संस्कृति के अध्ययनकर्ताओं के लिए एक अद्वितीय संसाधन बनेगा।