बटाला : भारत में दशहरा हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को धूमधाम के साथ मनाया जाता है। दशहरे का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन ही राम भगवान ने लंकापति रावण का वध कर माता सीता को लंका से मुक्त कराया था।दशहरे पर हर साल रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतलों का दहन किया जाता है। सदाचार और सदाचार की जीत का प्रतीक दशहरा हर साल पूरे देश में मनाया जाता है। बटाला में दशहरा अलग तरह से मनाया जा रहा है। जानकारी के अनुसार बटाला में रिमोट का बटन दबा कर रावण का दहन किया गया था।
रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण की पुतले बनाने के लिए आगरा से कारीगर आए है। यह कारीगर एक महीने से बटाला में है। रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले 90 फुट के करीब है। दशहरे के दौरान सुरक्षा के पुख्ता प्रंबंध है। दशहरे का उत्सव केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि समाज में नैतिकता और सत्य की विजय को भी दर्शाता है। यह दिन विशेष रूप से रावण दहन, पूजा-पाठ और शुभ कार्यों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। पूजन के लिए सबसे शुभ समय सुबह 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट तक है।
इसके अलावा, दोपहर 2 बजकर 3 मिनट से 2 बजकर 49 मिनट तक का समय भी पूजन के लिए उत्तम माना गया है। वहीं अपराह्न पूजा का समय 1:17 बजे से 3:35 बजे तक रहेगा, जिसमें देवी अपराजिता की पूजा की जाती है। रावण दहन दशहरे का मुख्य आकर्षण है। रावण का दहन प्रदोष काल में करना शुभ माना जाता है। इस साल रावण दहन का सही समय शाम 5 बजकर 53 मिनट से 7 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। इस दौरान पूरे भारत में रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले जलाकर बुराई के अंत का जश्न मनाया जाएगा।