जालन्धर/अनिल वर्मा। अवैध बिल्डिंगों को रैगुलर करने वाली वन टाईम सैटलमैंट पालिसी की शर्तों ने लोगों को निराश कर दिया है। इस पालिसी अनुसार उन अवैध कारोबारी इमारतों को रैगुलर नहीं किया जा सकता जो 60 फुट से कम चौड़ाई वाली सड़क पर बनाई गई हैं। इसी के साथ उन कारोबारी इमारतों को भी नुक्सान होगा जिनके रिहायशी नक्शे पास करवा कर कारोबारी निर्माण किए गए थे और निगम ने नोटिस देने के बाद इमारतों को सील कर दिया था मगर कारोबारियों ने सील खुलवाने के लिए निगम कमिशनर के नाम निर्माण को रिहायशी करने के लिए प्रमाणपत्र दिए थे। अब उन तमाम इमारतों को वन टाईम सैटलमैंट पालिसी का फायदा नहीं दिया जा सकता। ऐसे में एक बार फिर जालन्धर निगम के आधीन बनी करीब 250 से ज्यादा इमारतों पर सीलिंग की तलवार लटक गई है जिन्हे समयबद्ध सीमा में कारोबारी निर्माण को रिहायशी नहीं किया।
मास्टर प्लान के अनुसार 60 फुट चौड़ी सड़क पर बनी उन कारोबारी इमारतों को रैगुलर किया जा सकता है जिसमें पार्किंग की व्यवस्था है या इमारत के 300 मीटर दायरे में पार्किग के लिए 30 साल की लीज़ का एग्रीमैंट देना होगा। इसके बाद ही रैगुलाईजेशन का फायदा मिल सकता है।
मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट अजय कुमार ने निगम प्रशासन में आरटीआई दायर कर पिछले तीन सालों दौरान सील कर खोली गई सभी इमारतों का ब्यौरा मांगा है जिन्हे बाद में ठीक नहीं किया गया। इन इमारतों से निगम के राजस्व को 5 करोड़ रुपये के करीब नुक्सान होेने का अनुमान है। आने वाले दिनों में निगम प्रशासन आर्दश चुनाव संहिता लागू होने के बाद कई अवैध कारोबारी निर्माणों को दोबारा सील कर सकता है।