जालंधर, ENS: सुप्रीम कोर्ट के पराली जलाने के मामले में सख्त निर्देश के बाद अब केंद्र सरकार ने भी प्रदूषण की समस्या और पराली जलाने के मामले एक्शन लिया है। दरअसल, आज ही पराली जलाने के मामले में केंद्र सरकार ने नया फरमान जारी करते हुए पराली को आग लगाने के मामले में जुर्माने को दोगुना कर दिया है। केंद्र सरकार के नए फैसले के मुताबिक, अगर किसान पराली जलाते हैं और उनके पास 2 एकड़ से कम भूमि है तो 5 हजार रुपये, 2-5 एकड़ वाले किसानों को 10 हजार रुपये और 5 एकड़ से अधिक जमीन वाले किसानों को 30 हजार रुपये पराली जलाने पर जुर्माना देना होगा। वहीं इस मामले को लेकर जालंधर हरसुरिंदर सिंह दोआबा कमेटी पंजाब प्रधान ने कहा कि वह दिल्ली सरकार से पूछना चाहते है कि ऐसी कौन-सी चिमनी लगी है जो पंजाब से सीधा धुंआ दिल्ली की ओर छोड़ती है। उन्होंने कहा कि जो प्रदूषण इस बार चैक किया गया, उसमें ढाई प्रतिशत धुंआ पराली में पाया गया है, जबकि 51 प्रतिशत इंडस्ट्री का धुंआ, वहीं ट्रांसपोर्ट सहित अन्य धुंआ पाया गया।
किसान नेता ने दिल्ली सरकार और पंजाब सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार ढाई प्रतिशत धुंए पर ही क्यों इतना ज्यादा जोर दे रही है। उन्होंने कहा कि किसानों पर ही ये अत्याचार किया जा रहा है। सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि धान की फिक्र सरकार को नहीं है। वहीं उन्होंने कहा कि 7 प्रतिशत काट किसानों पर लगाई जा रही उस पर प्रशासन द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा। उन्होंने कहा कि प्रशासन पहले धान की खरीद पर ध्यान दे उसके बाद किसानों पर कार्रवाई करें। किसान नेता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किए थे जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पहले किसानों को प्रति क्विंटल 100 रुपए अदा किए जाए, उसके बाद किसानों पर पराली जलाने के मामले में जुर्माने लगाए जाए। किसान नेता ने कहा कि प्रशासन द्वारा उक्त फैसले को लेकर अभी तक किसानों को पैसे तो अदा नहीं किए गए लेकिन जुर्माने लगाने के आदेश जारी कर दिए गए है।
वहीं दोआबा किसान वेल्फेयर सोसायटी के वाइस प्रधान मनप्रीत सिंह ने कहा कि पंजाब में पराली जलाने के मामले एक दो जगह पर ही सामने आए है। उन्होंने कहा कि पंजाब में अधिकतर किसानों ने पराली को आग नहीं लगाई। लेकिन सरकार किसानों पर प्रदूषण का आरोप लगा रही है। उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री से ज्यादा प्रदूषण फैल रहा है। उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री के चलते पानी का स्तर काफी नीचे जा रहा है, लेकिन उस ओर प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है। वहीं नए जुर्माने के आदेश को लेकर वाइस प्रधान ने कहा कि सरकार ने पराली के लिए बीलर शुरू किए थे और कहा था कि वह इसे उठाएंगे। किसान नेता ने कहा कि किसानों ने पराली की गांठे बनाकर रख ली, लेकिन प्रशासन द्वारा आज तक जिसने भी बिलर लिए है, वहां पर सरकार द्वारा उक्त पराली को उठाया नहीं गया। उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा अभी तक जहां से बिलर उठाए गए, वहां पर प्रशासन द्वारा अभी तक उन्हें पैसा नहीं मिला।
दिलबाग सिंह ने कहा कि दिल्ली सरकार को पंजाब में पराली जलाने का फ्रिक ज्यादा रहता है। उन्होंने कहा कि पंजाब से 400 किलोमीटर दूर धुंआ कैसे पहुंच रहा है, इसका किसी को नहीं पता। उन्होंने कहा कि धान की खरीद पर प्रशासन द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। उन्होंने कहा कि जमीनदार को सरकार मारने का यत्न कर रही है। किसान ने कहा कि जमीनदार का सरकार को दुख सुनना चाहिए, लेकिन कोई किसानों से बात करने को तैयार नहीं है। किसान ने कहा कि धान की खरीद में देरी होने के चलते आलू और गेंहू की फसल को लेकर उन्हें देरी हो रही है। लेकिन प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रही।