जालंधर, ENS: किसानों द्वारा बीते दिन मंडियों में धान की खरीद उचित तरीके न होने के विरोध में टोल प्लाजा पर प्रदर्शन किया गया था, वहीं जालंधर के फिल्लौर में किसानों द्वारा हाईवे जाम किया गया था। वहीं आज किसान नेता डिप्टी कमिश्नर हिमांशु अग्रवाल को मंडियों में धान की खरीद को लेकर मांग पत्र देने के लिए पहुंचे है। मामले की जानकारी देते हुए किसान नेता हरसिकंदर सिंह ने कहा कि वह डीसी को धान के साथ-साथ गन्ने की फसल को लेकर मांग पत्र देने पहुंचे है। उन्होंने कहा कि गन्ने की फसल खेतों में पूरी तरह से तैयार है। किसान नेता का कहना हैकि ऐसे में मिल को चलाने के समय तीया और रेट अभी से तय कर दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि 11वें महीने से 12वें महीने चलाने की प्रशासन द्वारा कवायद की जा रही है, लेकिन उनका कहना है कि 11वें माह के पहले सप्ताह को गन्ने की फसल को लेकर मिल शुरू दी जानी चाहिए। उन्होंने मंडियों में धान की खरीद को लेकर कहा कि सरकार द्वारा 1 अक्टूबर से खरीद शुरू हो चुकी है, लेकिन लिफ्टिंग ना होने के कारण धान अभी तक मंडियों में पड़ा हुआ है। ऐसे में उन्होंने कहा कि शैलर मालिक कम रेट पर धान की खरीद कर रहे है, जिससे किसानों के साथ लूट हो रही है। किसान नेता ने कहा कि इस मामले में डिप्टी कमिश्नर को ध्यान देना चाहिए, जिसके लिए वह डिप्टी कमिश्नर को मांग पत्र देने के लिए आए है। उन्होंने कहा कि 2 से 4 दिनों में उनका मसला हल नहीं होता तो वह धान की ट्रालियां भरकर डीसी दफ्तर के बाहर खड़ी कर देंगे।
वहीं दिलबाग सिंह ने कहाकि वह प्रदर्शन करना नहीं चाहते लेकिन प्रशासन द्वारा उन्हें मजबूर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पहले मंहगे भाव पर उन्हें बीज दिया गया था, लेकिन अब धान की फसल तैयार हो गई है और मंडियों पर धान पड़ा हुआ है, लेकिन अभी तक धान उठाया नहीं जा रहा। वहीं मक्खन सिंह ने कहा कि धान का सीजन 25 दिन तक चलता है, लेकिन अभी तक धान की खरीद नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि 70 प्रतिशत धान पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि 1 अक्टूबर से लेकर अब 18 अक्टूबर का समय हो गया है, लेकिन धान की खरीद नहीं हो रही।
इसी तरह मनप्रीत सिंह ने कहा कि दोआबा किसान यूनियन की ओर से डिप्टी कमिश्नर को मांग पत्र इसलिए दिया जा रहा है कि आज 18 अक्टूबर का समय हो गया है, लेकिन धान की खरीद शुरू नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा धान के जिस बीज को लगाने का आग्रह किया गया था, किसानों द्वारा उसी बीज को लगाया गया, लेकिन अभी तक मंडियों में खरीद ना होने के चलते किसानों को काफी नुकसान हो रहा है।