जालंधर, ENS: इस बार जालंधर वेस्ट हल्के से चुनाव लड़ रहे कांग्रेसी प्रत्याशियों में जोश ठंड़ा दिखाई दे रहा है। चुनावी प्रचार दौरान भी जनता को लुभाने तथा निगम से जुड़े काम करवाने में भी प्रत्याशी खुद को अकेला महसूस कर रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण वेस्ट हल्के से बीते सांसद चुनावों दौरान बदले राजनैतिक समीकरण बताए जा रहे हैं। इन चुनावों के बाद वेस्ट हल्के से कांग्रेस की रीड़ की हड्डी माने जाते सुशील रिंकू तथा चौधरी परिवार का भाजपा में चले जाना माना जा रहा है। इस हलके की कमान महिला नेत्री सुरिंदर कौर के हाथ में है। दोनों के भाजपा में चले जाने के बाद यह पहला चुनाव है जोकि वेस्ट हल्के में कांग्रेस का भविष्य तय करेगा।
यह हलका एससी तथा भगत बिरादरी का गढ़ है, भगत बिरादरी शुरु से ही भाजपा का वोट बैंक बनी रही। इसके बाद रविदास समाज शुरु से ही कांग्रेस पार्टी के साथ जुड़ा रहा। मगर सत्तापक्ष होने के बाद भी रविदास समाज के नेतृत्व करने वाले नेताओं के हाथ खाली रहे और रविदास समाज की मांगे अधूरी रहीं। महिला नेत्री सुरिंदर कौर का राजनैतिक करियर वहां तक ही सिमट चुका था, जब उन्हें जालंधर नगर निगम में बतौर पूर्व अब सीनियर डिप्टी मेयर पद दिया गया। उन्होंने इस पद पर रहने के बावजूद जनता से दूरी बनाई और चुनावी वायदों को पूरा नहीं किया।
सुरिंदर कौर के इस रवैय्ये के कारण उन दिनों पार्टी हाईकमान भी उनसे काफी नाराज थी। इस हल्के से चुनावी मैदान में उतरे कांग्रेसी उम्मीदवारों के लिए हल्के में रुके हुए विकास कार्यों को करवाने सहित यहां कूड़े की समस्या को खत्म करवाना होगा।