जिरीबाम, मणिपुर (9 नवंबर 2024) — मणिपुर के जिरीबाम जिले में एक बार फिर भयावह हिंसा की खबर सामने आई है। गुरुवार की रात एक 31 वर्षीय आदिवासी महिला को सामूहिक बलात्कार और हत्या का शिकार बनाया गया। महिला को जिंदा जलाने के बाद, हमलावरों ने गांव में कई घरों को लूटा और कुल 17 घरों को आग के हवाले कर दिया, जिससे इलाके में गहरा तनाव फैल गया है। यह घटना मणिपुर के जातीय संघर्ष के बीच एक और दिल दहला देने वाली वारदात बन गई है।
पीड़िता के पति ने पुलिस में दर्ज कराई शिकायत
पीड़िता के पति ने पुलिस को दी गई शिकायत में बताया कि हमलावर रात के समय अचानक उनके घर में घुस आए। उन्होंने परिवार के सदस्यों को अलग-अलग कमरों में बंद कर दिया और पीड़िता को एक कमरे में ले जाकर उसका यौन उत्पीड़न किया। इसके बाद, हमलावरों ने पीड़िता को जिंदा जला दिया। इस घटना ने न केवल पीड़ित परिवार, बल्कि पूरे समुदाय में डर और गुस्से का माहौल पैदा कर दिया है।
पति का कहना है कि यह हमला घुसपैठियों द्वारा किया गया था, जो अपने साथ हथियार लेकर आए थे। हालांकि, अभी तक आरोपियों की पहचान नहीं हो पाई है और पुलिस विभिन्न एंगल से इस मामले की जांच कर रही है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, कुछ हमलावर स्थानीय निवासी भी हो सकते हैं, जो मणिपुर में जारी जातीय तनाव का फायदा उठाकर इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।
इंडिजिनस ट्राइबल एडवोकेसी कमेटी (ITAC) का बयान
इंडिजिनस ट्राइबल एडवोकेसी कमेटी (ITAC) ने इस घटना पर अपनी गहरी चिंता और आक्रोश व्यक्त किया है। ITAC के प्रवक्ता ने बताया कि हमलावरों ने गांव में प्रवेश करते ही गोलीबारी शुरू कर दी थी और कई घरों को आग लगा दी। गांव के लोग अपनी जान बचाने के लिए जंगलों की ओर भागने लगे, लेकिन दुर्भाग्य से एक महिला घर में फंसी रह गई, जिसके साथ यह भयावह कृत्य किया गया।
ITAC ने राज्य सरकार से मांग की है कि इस घटना की तुरंत जांच की जाए और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। संगठन का कहना है कि मणिपुर में लगातार बढ़ती जातीय हिंसा से आदिवासी समुदाय के लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
पिछले दिनों भी हुई थी महिला शिक्षिका की हत्या
यह पहली बार नहीं है जब जिरीबाम में महिलाओं के खिलाफ इस तरह की हिंसा हुई है। दो दिन पहले इसी क्षेत्र में एक और भयावह घटना सामने आई थी, जिसमें एक महिला शिक्षिका को गोली मार दी गई थी। फिर उसे घायल अवस्था में जिंदा जलाने का प्रयास किया गया, जिससे उसकी मौत हो गई। इस घटना ने भी पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया था। उस दिन भी हमलावरों ने गांव में लूटपाट की और कई घरों को आग के हवाले कर दिया था।
मणिपुर में जातीय संघर्ष का बढ़ता प्रभाव
मणिपुर राज्य इस समय भीषण जातीय संघर्ष की चपेट में है। यहां बहुसंख्यक मैतेई और आदिवासी कुकी समुदायों के बीच लंबे समय से तनाव और हिंसा जारी है। मणिपुर में जारी इस संघर्ष के कारण राज्य में गंभीर अशांति फैली हुई है, जिसने कई परिवारों को प्रभावित किया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस जातीय संघर्ष में अब तक लगभग 230 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, जबकि 50,000 से अधिक लोग अपने घर छोड़कर शिविरों में शरण लेने को मजबूर हुए हैं।
हिंसा की लगातार घटनाओं के चलते राज्य में असुरक्षा का माहौल गहरा गया है। मणिपुर सरकार और केंद्रीय सुरक्षा बलों ने मिलकर हालात को काबू में करने के लिए सुरक्षा कड़ी कर दी है, लेकिन इसके बावजूद इस तरह की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। मणिपुर में आदिवासी और मैतेई समुदाय के बीच बढ़ती हिंसा से पूरे राज्य में भय और अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है।
पुलिस और सुरक्षाबल की कार्रवाई
घटना के बाद से पुलिस ने इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी है। पुलिस और अर्धसैनिक बलों की टुकड़ियों को प्रभावित क्षेत्रों में गश्त पर लगाया गया है ताकि कोई और अप्रिय घटना न हो। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वे हमलावरों की पहचान करने और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
राज्य प्रशासन ने घटना की गहनता से जांच के आदेश दिए हैं, और पुलिस इस मामले में जल्द ही विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की घटनाओं पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी ताकि भविष्य में ऐसी वारदातें दोबारा न हों।
सामाजिक संगठनों और राजनीतिक नेताओं का विरोध
इस घटना के बाद राज्य भर में आक्रोश का माहौल बन गया है। कई सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने इस घटना की निंदा की है और मणिपुर में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल खड़े किए हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि राज्य सरकार आदिवासी समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल साबित हो रही है।
राजनीतिक दलों ने केंद्र सरकार से इस घटना पर तुरंत ध्यान देने की मांग की है और कहा है कि मणिपुर के लोगों को सुरक्षित माहौल देने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।
मणिपुर सरकार का बयान और अगला कदम
मणिपुर सरकार ने इस घटना पर गहरा दुख जताते हुए कहा है कि इस तरह की हिंसक घटनाएं राज्य के समाज में विभाजन पैदा कर रही हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार मृतका के परिवार को हर संभव सहायता देगी और दोषियों को न्याय के कठघरे में खड़ा किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि हिंसाग्रस्त इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की जाएगी ताकि लोगों को सुरक्षित माहौल मिल सके। राज्य सरकार ने पुलिस और सुरक्षाबलों को निर्देश दिया है कि वे पूरे इलाके में गहन निगरानी रखें और घटना की तह तक जाने का प्रयास करें।