आचार्य पीताम्बर दत्त शर्मा ने दिए प्रवचन
बोले-मानवता की सेवा ही सच्चा धर्म
भागवत गीता पढक़र अपने जीवन को एक दिशा देने की कोशिश करनी चाहिए
बददी\सचिन बैंसल: बददी के वार्ड नंबर दो महाराणा प्रताप नगर बददी में सात दिन से चली आ रही श्री मदभागवत कथा सोमवार को समापन हो गई। कथा वाचक उत्तरी भारत के कथा प्रवक्ता वेदाचार्य पीतांबर दत्त शर्मा ने अपने प्रवचनों की अमृत वर्षा से श्रद्वालुओं को निहाल कर दिया। सनातन धर्म में भागवत गीता का महत्व लोगों के जीवन में सर्वोपरि है। कहा जाता है कि भागवत गीता पढऩे वाले लोग मोह माया के जाल से निकलने में सहयोग करते हैं और लोग अध्यात्म की तरफ ज्यादा आकर्षित होते हैं।
पितांबर दत्त शर्मा ने कहा कि जब आपके जीवन में परिवर्तन होता है तो आपके जीवन में कई कठिनाइयां भी आती है। मगर उसे कठिनाइयों से जब आप बाहर निकालने की कोशिश करते हैं या उससे लडऩे की कोशिश करते हैं तो भगवत गीता में लिखा एक-एक सार आपकी बहुत मदद करता है। इसलिए सनातन धर्म के सभी लोगों को भगवत गीता को अपनाना चाहिए और भागवत गीता पढक़र अपने जीवन को एक दिशा देने की कोशिश करनी चाहिए। भगवत गीता में वर्णित कथा के अनुसार जब भी अर्जुन के मन में कोई दुविधा उत्पन्न होती थी तो वो श्रीकृष्ण के पास पहुंच जाते थे।
एक बार की बात है अर्जुन श्रीकृष्ण के पास जाकर कहते हैं कि वो किसी बात को लेकर परेशान हैं और इसका जवाब वो श्रीकृष्ण से चाहते हैं। श्रीकृष्ण ने पूछा सवाल क्या है? अर्जुन ने कहा- मुझे यह जानना है कि अच्छे लोगों के साथ हमेशा बुरा ही क्यों होता है? वहीं बुरे लोग खुशहाल होते हैं। अर्जुन के मुंह से ऐसी बातें सुनकर श्रीकृष्ण मुस्कुराएं और कहा- मनुष्य जैसा सोचता है और महसूस करता है वैसा कुछ नहीं होता है बल्कि अज्ञानता की वजह से वो सच्चाई नहीं समझ पाता है। अर्जुन उनकी ये बात समझ नहीं पाएं, इसके बाद श्रीकृष्ण ने उन्हें समझने के लिए क्या कहा वो जानते हैं?
आयोजकों यशपाल ठाकुर, माया देवी, विकास राजा व नेहा ने बताया कि सातों दिन पूरे गांव के लोगों ने श्रीमदभावगत कथा का आनंद उठाया। उन्होने बताया कि सभी सातों दिन शाम को भंडारे का आयोजन सभी ने मिलजुल कर किया।