चिटटे को दी मौत की संज्ञा
नशे के दुष्प्रभावो और ट्रैफिक नियमों की दी जानकारी
बच्चों ने ली हेलमेट पहनने और नशे से दूर रहने की शपथ
ऊना/ सुशील पंडित: हरोली क्षेत्राधिकार में सलोह के सिनियर सेकेंडरी स्कूल में 7 दिन का एनएसएस शिविर चल रहा है। जिसमे बच्चों को नई जानकारियां देने हेतु पलिस थाना हरोली के प्रभारी सुनील कुमार को बुलाया गया था । एनएसएस कैंप का आज दूसरा दिन था । थाना प्रभारी ने बच्चों को नशे के दुष्प्रभावों तथा कैसे बच्चों में नशे की लत लग जाती है के बारे विस्तारपूर्वक बताया । थाना प्रभारी ने बताया कि टीनेज में बच्चों में हर नई चीज के बारे में जानने, उसको चखने उसको प्रयोग करने की बहुत उत्सुकता होती है ।
कई बार उत्सुकता के कारण, कई बार इन्जाय के कारण तथा कई बार डिप्रैशन या तनाव के कारण भी कई युवा नशे की ओर रूख कर लेते है । परंतु जो चिट्टे के रूप में नशा हिमाचल के गांव गांव तक पहुंच रहा है उससे बचना बेहद आवश्यक है । चिट्टे में कई तरह के ऐसे कैमीकल मिलाये जाते है जिससे 1-2 बार प्रयोग करने पर ही आदमी एडीक्ट हो जाता है । न चाहते हुए भी इस नशे से बचना वेहद मुश्किल काम रहता है । चिट्टा मतलब मौत को दावत।
थाना प्रभारी ने बताया कि किस तरह चिट्टा प्रयोग करने वालों की पहचान कर सकते है तथा क्या क्या अवगुण इस तरह के युवकों में नजर आते है । किसी भी युवक के पास रैपर पेपर, जला हुआ करेंसी नोट या युवक का देर रात तक परिवार व साथियों से दूर रहकर अकेला रहना चिट्टे के लक्षण हो सकते है ।
चिट्टे के दुष्प्रभावों के साथ साथ ट्रैफिक नियमों पर भी विस्तृत जानकारी बच्चों को दी गई । हेलमेट क्यों महत्वपूर्ण है , ड्राइवरों के पास क्या गुण होने चाहिये और ट्रैफिक नियमों के साथ मोटरवाहन अधिनियम में क्या रूल वने है, के बारे बच्चों को जागरूक किया गया । अंत में बच्चों ने नशे से दूर रहने और हेलमेट का प्रयोग करने की शपथ भी ली।