चंडीगढ़ः कनाडा सरकार द्वारा लगातार नियमों में बदलाव किए जा रहे है। वहीं अब कनाडा में पढ़ रहे अंतरराष्ट्रीय छात्रों, खासकर पंजाबियों के लिए एक नई समस्या खड़ी हो गई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अब उनसे कई तरह के दस्तावेज मांगे जा रहे हैं। बताया जा रहा है कनाडा में पढ़ रहे विदेशी छात्रों से कनाडाई सरकार ने स्टडी परमिट, वीजा और एजुकेशन रिकॉर्ड जैसे प्राप्तांक और उपस्थिति (अटेंडेंस) समेत कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों को फिर से जमा करने के लिए कहा है। छात्रों से ये सभी जानकारी इमिग्रेशन, रेफ्यूजी एंड सिटिजनशिप कनाडा (आईआरसीसी) के एक ईमेल एड्रेस पर भेजने को कहा गया है। कुछ छात्रों को ये दस्तावेज़ सत्यापित कराने के लिए व्यक्तिगत रूप से आईआरसीसी कार्यालयों में जाने के लिए भी कहा गया है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा ने हाल ही में विदेशी छात्रों को लेकर नियम सख्त किए हैं। ऐसे में इस ईमेल मिलने के बाद से ही भारतीय छात्रों में तनाव का माहौल है। इसे छात्रों की संख्या को सीमित करने के कदम को तौर पर देखा जा रहा है। कई ऐसे छात्रों को भी मेल भेजकर जानकारी मांगी गई है, जिनका वीजा अभी दो साल तक के लिए वैध है। मालूम हो कि कनाडा सरकार का ये रुख ऐसे समय में सामने आया है, जब आईआरसीसी ने विदेशी छात्रों की संख्या को सीमित करने और सख्त वित्तीय आवश्यकताओं के अनुरूप उनके प्रवेश को नियंत्रित करने के लिए अपनी नीतियों को कड़ा करना शुरू किया है। इस संबंध में कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में पढ़ रहे हैदराबाद के स्नातकोत्तर छात्र अविनाश कौशिक ने कहा, ‘आईआरसीसी की ओर से भेजे गए ईमेल को पढ़कर मैं हैरान रह गया. मेरा वीजा मई 2026 तक है। ऐसे में मुझे फिर से सारे दस्तावेज दोबारा जमा करने के लिए कहा गया है।’
छात्र ने कहा, ‘उन्होंने मुझसे अटेंडेंस की डिटेल और पार्ट-टाइम काम के बारे में भी जानकारी देने को कहा है।’ ज्ञात हो कि पिछले हफ्ते ऐसे ही ईमेल पंजाब के छात्रों को भी मिले थे। उनमें से बहुत से छात्रों को कहा गया कि वे आईआरसीसी ऑफिस जाएं और वहां अपने दस्तावेज़ को वेरीफाई करवाएं। हैदराबाद के एक छात्र अविनाश दसारी ने बताया, ‘इस ईमेल से बहुत से छात्र परेशान और चिंता में हैं। कुछ को लगता है कि इससे नौकरी के लिए अप्लाई करने में देरी हो सकती है या रिजेक्शन भी हो सकता है। हम पहले से ही पढ़ाई और नौकरी की कम संभावनाओं को लेकर दबाव में हैं, ऐसे में यह और भी तनाव बढ़ा रहा है।’ गौरतलब है कि हाल के कुछ सालों में कनाडा में विदेशी छात्रों की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई है। विदेशी मंत्रालय के अनुसार, भारत के सबसे ज्यादा युवा (4.2 लाख) कनाडा ही पढ़ाई के लिए गए हैं। दूसरे नंबर पर अमेरिका है, जहां 3.3 लाख भारतीय छात्र हैं। ब्रिटिश कोलंबिया में आदिलाबाद की बिजनेस मैनेजमेंट की छात्रा मनीषा पटेल कहती हैं कि उन्होंने कनाडा को इसके अच्छे स्वागत वाले माहौल के लिए चुना था, ऐसे में ये अनुचित लगता है।
कई छात्र आईआरसीसी से इस ईमेल के संबंध में अधिक स्पष्टता और अपनी चिंताओं के समाधान करने का आग्रह कर रहे हैं। इस बीच, विशेषज्ञों ने छात्रों को सलाह दी है कि वे डॉक्यूमेंट्स जमा करने में किसी भी तरह की देरी ना करें, ताकि परेशानियों से बचा जा सके। टोरंटो के इमिग्रेशन कंसल्टेंट मेहबूब राजवानी ने कहा, ‘ये कदम कनाडा की अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या को नियंत्रित करने की रणनीति का हिस्सा मालूम पड़ता है। इसके अलावा सरकार वास्तविक छात्रों की पहचान करना चाहती है क्योंकि कई छात्र स्टूडेंट्स वीजा पर कनाडा आते हैं और फिर किसी ऐसे संस्थान में चले जाते हैं, जहां अपस्थिति पर कोई प्रतिबंध नहीं है और फिर यहां नौकरी करने लगते हैं, कनाडा सरकार इन लोगों की भी पहचान करना चाहती है।’ उन्होंने कहा कि अगर छात्र समय पर इन अनुरोधों का पालन नहीं करते हैं, तो इससे वीज़ा रद्द हो सकता है या भविष्य में परेशानिया हो सकती हैं।