चंडीगढ़ः पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने बेअंत सिंह हत्याकांड के दोषी बलवंत सिंह राजोआना को अपने भाई के भोग में शामिल होने के लिए बुधवार को 3 घंटे की पैरोल दी थी। वहीं आज बलवंत सिंह राजोआना लगभग 29 वर्षों बाद दूसरी बार जेल से बाहर आ रहे हैं। कोर्ट की ओर से दी गई यह पैरोल सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक प्रभावी रहेगी। बलवंत सिंह राजोआना के भाई कुलवंत सिंह की 14 नवंबर को मौत हो गई थी। जिनका भोग आज लुधियाना के राजोआना कलां गांव के मंजी साहिब गुरुद्वारे में है। ये दूसरा मौका है जब राजोआना जेल से बाहर आ रहे हैं। इससे पहले जनवरी 2022 में हाई कोर्ट ने उनके पिता की मृत्यु के बाद भोग और अंतिम अरदास में पुलिस कस्टडी में शामिल होने की इजाजत दी थी। इसी आधार पर राजोआना ने अब दोबारा अपने भाई के भोग और अंतिम अरदास में शामिल होने के लिए टेंपरेरी पैरोल दिए जाने की मांग की थी। ये मांग बीते दिन मान ली गई।
उनकी दया याचिका पिछले 12 वर्षों से लंबित है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है, लेकिन कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। अदालत ने हाल ही में कहा कि इस मामले का निर्णय लेना कार्यपालिका का अधिकार है, और इसमें न्यायपालिका हस्तक्षेप नहीं कर सकती। बलवंत सिंह के वकीलों ने उनकी सजा को आजीवन कारावास में बदलने के लिए अपील की है। उनका कहना है कि इतने लंबे समय तक मौत की सजा का इंतजार करना मानसिक यातना के समान है। उनकी पैरोल भी इसी संदर्भ में भावनात्मक रूप से महत्वपूर्ण है। तकरीबन दो दिन पहले ही पंजाब के पूर्व CM बेअंत सिंह के हत्यारे बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति के पास भेजी है। कोर्ट ने राष्ट्रपति के सचिव को आदेश दिया है कि इसे राष्ट्रपति के सामने रखें। साथ ही उनसे अनुरोध करें कि दो हफ्ते में इस पर फैसला ले लें।
31 अगस्त 1995 को एक आत्मघाती बम विस्फोट में बेअंत सिंह और 16 अन्य की मौत हो गई थी। बलवंत सिंह राजोआना को इस मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी। उनके साथ सह-आरोपी जगतार सिंह हवारा को भी मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन बाद में हवारा की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया। राजोआना जनवरी 1996 से जेल में हैं। उन्हें 2007 में मौत की सजा दी गई थी, और 2012 में केंद्र सरकार ने उनकी फांसी पर रोक लगाई थी।