नई दिल्लीः भारत में लाखों मंदिर हैं। देश का मुश्किल से ही ऐसा कोई गांव होगा जहां आपको कोई मंदिर ना मिले। इसमें से तमाम ऐसे मंदिर भी हैं, जो अपने भीतर कई तरह के रहस्यों को संजोए हुए है। इसके अलावा सभी मंदिरों की अपनी अलग पहचान तथा अपना अलग महत्व है। ऐसे ही कई रहस्यों को अपने भीतर समेटे हुए एक मंदिर मध्य प्रदेश के रतलाम में है। इस मंदिर का नाम महालक्ष्मी मंदिर है।
महालक्ष्मी मंदिर मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के माणक में स्थित है। यह मंदिर इस वजह से अनोखा है क्योंकि यहां आने वाले भक्तों को प्रसाद के रूप में लड्डू या कोई खाने की चीज नहीं मिलती, बल्कि सोने-चांदी के गहने दिए जाते हैं। इस तरह से आप कह सकते हैं कि महालक्ष्मी मंदिर में आने वाला हर भक्त यहां से मालामाल होकर जाता है।
मंदिर में आने वाले हर भक्त को यहां प्रसाद के रूप में सोने-चांदी के सिक्के और गहने घर ले जाने के लिए दिए जाते हैं। यह मंदिर मां महालक्ष्मी का है। यहां हर रोज भक्तों की भारी भीड़ लगती है। इस मंदिर के प्रति भक्तों की बहुत ही ज्यादा आस्था है। इसी वजह से भक्त यहां पर रोजाना मां महालक्ष्मी को करोड़ों रुपए के गहने चढ़ाते हैं। इसके अलावा भक्त यहां नकदी भी चढाते हैं।
दीवाली के मौके पर इस मंदिर में धन कुबेर का दरबार लगाया जाता है। इस दौरान धनतेरस से लेकर पांच दिनों तक मंदिर में दीपोत्सव का आयोजन किया जाता है और मंदिर को फूलों से नहीं बल्कि रुपयों और गहनों से सजाया जाता है। धन कुबेर के दरबार में ही भक्तों को प्रसाद के रूप में सोने-चांदी के गहने और रुपए दिए जाते हैं।
दीवाली के समय मंदिर के कपाट 24 घंटे खुले रहते हैं। कहा जाता है कि धनतेरस के दिन महिलाओं के लिए यहां कुबेर की पोटली खोल दी जाती है और जो भी भक्त यहां आता है उसे खाली हाथ लौटाया नहीं जाता। मंदिर में दशकों से गहने और रुपये चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है। मान्यता है कि पुराने जमाने में यहां के राजा राज्य की समृद्धि के लिए धन और गहने चढ़ाते थे। इसी परम्परा को भक्तों ने भी आगे बढ़ाया और अब वह भी माता के चरणों में जेवर, पैसे वगैरह चढ़ाने लगे हैं। कहा जाता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा उन पर हमेशा बनी रहती है।