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चंडीगढ़ः खडूर साहिब से निर्दलीय सांसद अमृतपाल सिंह ने जेल से बाहर आने और संसद सत्र में शामिल होने के लिए हाईकोर्ट से गुहार लगाई थी। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में शुक्रवार (21 फरवरी) को अमृतपाल की तरफ से लगाई गई याचिका पर सुनवाई के बाद अगली तारीख 25 फरवरी दी गई है। मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या उनकी सीट को रिक्त घोषित करने के लिए किसी कमेटी का गठन किया गया है या नहीं। याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने किसी भी अंतरिम आदेश को जारी करने से इनकार कर दिया है।
अमृतपाल सिंह ने याचिका में कहा है कि असम में नजरबंदी के कारण वह संसद की कार्यवाही में शामिल नहीं हो पा रहे हैं। उन्हें जबरन अनुपस्थित रखा जा रहा है। इसका मकसद उनके संसदीय क्षेत्र को प्रतिनिधित्व से वंचित करना और 60 दिनों की अनुपस्थिति पूरी होने के बाद उनकी सीट को रिक्त घोषित कराना है। इससे न केवल उनके लिए बल्कि उनके निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं के लिए भी गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इसके साथ ही अमृतपाल ने केंद्र सरकार के मंत्रियों के साथ बैठक करने की अनुमति भी मांगी है, ताकि वे अपने संसदीय क्षेत्र की समस्याओं और विकास के मुद्दों पर चर्चा कर सकें।
उनका कहना है कि वे एक निर्वाचित सांसद हैं और इस नाते उन्हें अपने क्षेत्र के विकास के लिए सरकार के विभिन्न विभागों के साथ संवाद करने का पूरा अधिकार है। याचिका में आगे कहा गया है कि संसद की कार्यवाही से 60 दिनों तक अनुपस्थित रहने के बाद उनकी सीट रिक्त घोषित कर दी जाएगी और नए चुनाव कराए जाएंगे। जबकि वास्तविकता यह है कि उन्हें जबरन हिरासत में रखा गया है और संसद की कार्यवाही में भाग लेने से रोका जा रहा है। ऐसे में इसे अनुपस्थिति नहीं कहा जा सकता, बल्कि यह प्रशासन द्वारा जबरदस्ती उठाया गया एक कदम है, जिससे याचिकाकर्ता को संसद से दूर रखा जा रहा है। उन्होंने अपनी दलील में यह भी कहा है कि इस तरह की कार्रवाई संसद की अवमानना के दायरे में आती है।