प्रयागराजः कुम्भ मेला हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु कुम्भ पर्व स्थल प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में एकत्र होते हैं और नदी में स्नान करते हैं। महाकुंभ में श्रद्धालुओं को बढ़िया से बढ़िया सुविधा देने के लिए सरकार विभिन्न प्रयास करती रहती है। 13 जनवरी से प्रयागराज में शुरू हो रहे महाकुंभ में शामिल होने वाले रेल यात्रियों की सुविधा के नए विकल्प पर केंद्र सरकार विचार कर रही है।
सूत्रों के मुताबिक रेलवे महाकुंभ से लौटने वाले सामान्य श्रेणी (जनरल कोच) के यात्रियों के लिए टिकट खरीदने की अनिवार्यता खत्म कर सकती है। इसके लिए जरूरी औपचारिकताओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है। दरअसल, महाकुंभ के 45 दिनों में देशभर से करीब 45 करोड़ लोगों के पहुंचने का अनुमान है। रेलवे का आकलन है कि कुंभ के दिनों का औसत निकालें तो रोज 5 लाख से ज्यादा यात्री सामान्य श्रेणी के कोचों में सफर करेंगे। इतने ज्यादा यात्रियों को एक दिन में टिकट उपलब्ध कराने के लिए जरूरी संसाधन जुटाना बड़ी चुनौती होगी। इसलिए जनरल टिकट खरीदने की अनिवार्यता को कुंभ के लिए रद्द किया जा रहा है।
रेलवे कुंभ के लिए 3 हजार विशेष ट्रेनें चलाएगा, जो 13 हजार से ज्यादा फेरे लगाएंगी। महाकुंभ 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 के बीच आयोजित किया जाएगा। यात्री महाकुंभ से लौटते समय 200 से 250 किमी तक बिना टिकट सफर कर सकेंगे। अगर किसी को 250 किमी से दूर जाना हो तो, लंबी दूरी के यात्री भीड़ में टिकट नहीं खरीद पाते, तो ट्रेन में टीटीई से टिकट ले सकेंगे। यदि कुंभ से लौट रहे हैं तो जुर्माना नहीं लगेगा। इस प्रस्ताव पर अंतिम फैसला होना बाकी है।
रेलवे ने विकल्प के रूप में स्टेशन पर स्कैनर टिकट खरीदने का ट्रायल किया था। लेकिन, एक साथ ज्यादा संख्या में टिकट बुक कराने से नेटवर्क जाम जैसी स्थिति बन गई। रेलवे के एक अधिकारी ने कहा- भारी भीड़ के चलते यात्रियों का कतार में लगकर टिकट लेना व्यावहारिक नहीं है। बिना टिकट यात्रा पर जुर्माने का नियम है, पर इसे चेक करने के लिए बड़ी संख्या में स्टाफ चाहिए। लिहाजा रेलवे अनारक्षित श्रेणी के टिकट फ्री करने पर विचार कर रहा है।
महाकुंभ के दौरान संगमनगरी में 4 वर्ल्ड रिकॉर्ड्स का भी संगम देखने को मिलेगा। प्रयागराज में सबसे बड़ी सिंक्रोनाइज्ड स्वीपिंग ड्राइव, सबसे बड़ी ई-व्हीकल्स की परेड, 8 घंटे में सबसे ज्यादा हैंडप्रिंट पेंटिंग बनाने व सबसे बड़ी नदी सफाई अभियान के रिकॉर्ड्स की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है। यह सभी रिकॉर्ड्स गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के मानकों व गाइडलाइंस को ध्यान में रखकर पूरे किए जाएंगे। ऐसे में, इन रिकॉर्ड्स से जुड़ी प्रक्रियाओं को पालन के लिए एक विशिष्ट टीम का गठन जल्द किया जाएगा।