कपूरथला: बुधो पुंधेर गांव में एक संपत्ति पर पंजाब वक्फ बोर्ड के दावे को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा है, जिसमें महाराजा कपूरथला द्वारा दान की गई मस्जिद, कब्रिस्तान और “टाकिया” शामिल है, जिसे बाद में 1971 में एक अधिसूचना के बाद वक्फ बोर्ड को सौंप दिया गया था। इस मामले को लेकर पंचायत मेंबर रेशम सिंह ने कहा कि वह पिछले 25 सालों से हल्के में रह रहे हैं। वही हाई कोर्ट द्वारा वक्फ बोर्ड के पास जगह रहने के हाई कोर्ट के फैसले को लेकर रेशम सिंह ने कहा कि यह जमीन वक्फ बोर्ड की ही है और गांव भी मुसलमानों का ही है। वही गांव में स्थित गुरुद्वारे को लेकर उन्होंने कहा कि यह भी वक्फ बोर्ड की जमीन पर ही बना हुआ है।
गांव पंचायत द्वारा हाईकोर्ट में दी गई दलीलें खारिज होने के मामले में रेशम सिंह ने कहा कि गांव के लोग पिछले 40-50 सालों से इस जमीन पर खेती-बाड़ी कर रहे हैं। उस जमीन को जमींदारों ने वक्फ बोर्ड से छुड़वाया है। उन्होंने कहा कि इस जमीन पर किसी का कब्जा नहीं है लेकिन जमींदारों ने जानबूझकर जमीन पर कब्जा किया हुआ है। इस मामले को लेकर ग्राम पंचायत सुप्रीम कोर्ट की ओर जाने का रुख करने का फैसला कर रही है। उन्होंने कहा इस जमीन पर मुफ्त से खेती-बाड़ी करते थे जिसे अब वह छुड़वाना चाहते हैं।
वहीं दूसरी और गांव के सरपंच कुलवंत सिंह ने कहा कि गांव में मस्जिद भी खुली हुई है, वहीं गुरुद्वारा भी खुला हुआ है। सरपंच ने कहा गुरुद्वारे में संगत दर्शन के लिए आती है, लेकिन मस्जिद में कोई भी व्यक्ति आज तक नहीं आया है। उन्होंने बताया कि मस्जिद की देखभाल गांव वासी ही करते हैं। सरपंच ने कहा इस जमीन को लेकर पिछले 15-20 साल से उनका केस कोर्ट में चल रहा है। हाई कोर्ट से कैसे अगर खारिज होता है तो वह इस केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर रुख कर करेंगे। सरपंच ने बताया कि यह जमीन 16 से 17 एकड़ में फैली हुई है। सरपंच ने बताया कि इस जमीन को लेकर कैसे नगर पंचायत की ओर से किया हुआ है। सरपंच का कहना है कि यह जमीन नगर पंचायत की है और उन्हीं की रहेगी। सरपंच ने बताया कि यह मस्जिद 1947 से पहले की बनी हुई है।
गुरुद्वारा बनाने को लेकर सरपंच ने कहा कि उन्होंने मस्जिद की जगह पर नहीं बनाया है जबकि मस्जिद की जगह एक एकड़ में फैली हुई है और गुरुद्वारा उससे अलग बना हुआ है। सरपंच ने कहा कि गुरुद्वारा बने 40 साल से अधिक समय हो चुका है। बता दें कि यह मामला न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर और न्यायमूर्ति सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ के समक्ष तब आया, जब बुधो पुंधेर गांव की ग्राम पंचायत ने वक्फ अधिनियम, 1995 के प्रावधानों के तहत गठित न्यायाधिकरण के रूप में कार्य करने वाले कपूरथला के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश द्वारा पारित फैसले को रद्द करने के लिए याचिका दायर की थी।
ग्राम पंचायत ने न्यायाधिकरण के फैसले का विरोध करते हुए तर्क दिया कि संबंधित संपत्ति को पंजाब अधिनियम, 1953 द्वारा शासित होना आवश्यक है, जिसके बारे में उनका दावा है कि यह वक्फ अधिनियम, 1995 से अधिक प्राथमिकता रखता है। प्रतिद्वंद्वी दलीलों को सुनने और दस्तावेजों को देखने के बाद, खंडपीठ ने ग्राम पंचायत की दलीलों को स्वीकार नहीं किया। न्यायालय का मानना था कि मुख्य मुद्दा पंजाब अधिनियम जैसे कानूनों की प्राथमिकता के बारे में नहीं था, बल्कि विचाराधीन भूमि के वर्गीकरण के बारे में था।
ग्राम पंचायत द्वारा राजस्व अभिलेखों में भूमि को “शामिलत देह” या आम भूमि के रूप में नामित करने वाली प्रविष्टियों पर आधारित तर्क के बावजूद, खंडपीठ ने जोर देकर कहा कि आधिकारिक अभिलेखों में संपत्ति को विशेष रूप से वक्फ संपत्ति के रूप में वर्गीकृत किया गया था। न्यायालय ने जोर देकर कहा कि ये अभिलेख, जो भूमि को मस्जिद, कब्रिस्तान और तकिया के रूप में वर्गीकृत करते हैं, वक्फ अधिनियम के तहत इसके स्वामित्व का निर्धारण करने में प्रबल होने चाहिए। न्यायालय ने अनुच्छेद 31-ए के तहत पंजाब अधिनियम को प्रदान की गई संवैधानिक सुरक्षा का भी हवाला दिया, लेकिन स्पष्ट किया कि यह वक्फ अधिनियम के विशिष्ट प्रावधानों को खत्म नहीं करता है, जो विचाराधीन धार्मिक संपत्तियों के स्वामित्व पर विवाद को नियंत्रित करता है।