
नई दिल्लीः भारत और पाकिस्तान के बीच इस साल फरवरी में सीजफायर उल्लंघन को लेकर एक अहम समझौता हुआ, जिसके तहत दोनों देशों के बीच तय किया गया है कि वो लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) और दूसरे सेक्टर्स में सीजफायर को नहीं तोड़ेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस समझौते की पहल यूएई के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद ने की थी। पिछले साल वो नवंबर में भारत के दौरे पर आए थे। इस दौरान उन्होंने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की थी।
कहा जा रहा है कि इसी बैठक के दौरान भारत-पाकिस्तान के बीच दोबारा शांति बहाल करने को लेकर बातचीत हुई थी। पहले से ही ये अटकलें लगाई जा रही हैं कि खाड़ी देश इस बातचीत में अहम भूमिका निभा रहे हैं। सऊदी अरब ने तो इसकी पुष्टि कर दी है, हालांकि यूएई की तरफ से इस बाबत कोई बयान नहीं आया है। बता दें कि यूएई ने भारत और पाकिस्तान के बीच सीज़फायर समझौते की सराहना की थी।
उधर सऊदी अरब के विदेश मामलों के मंत्री आदेल अल जुबैर ने एक इंटरव्यू में कहा, ‘हमलोग शाति बहाल करने की कोशिश कर रहे हैं – चाहे वह इजरायल और फिलिस्तीनियों के बीच शांति लाने की कोशिश हो। चाहे वह लेबनान, सीरिया, इराक, ईरान, अफगानिस्तान में हो या फिर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने की कोशिश। सूडान या फिर लीबिया में युद्ध को समाप्त करने की कोशिश हो। हम लगातार इसके लिए काम कर रहे हैं।’
साल 2003 में भारत और पाकिस्तान के बीच एलओसी पर सीजफायर को लेकर समझौता हुआ था। इसके तहत तय किया गया था कि दोनों देशों की सेनाएं सीमा पर एक-दूसरे पर गोलीबारी नहीं करेंगी। यह समझौता करीब 3 साल तक ठीक चला, लेकिन पाक ने साल 2006 में फिर गोलीबारी शुरू कर दी। वहीं, बीते साल 2020 में सीमा पर पाकिस्तान ने रिकॉर्ड सीजफायर उल्लंघन किया है, जिसके बाद इस साल फरवरी में दोबारा सीजफायर समझौता बहाल हुआ।