नई दिल्ली। भारत में एक तरफ, होली का त्योहार करीब है तो दूसरी तरफ, कोरोना वायरस की नई लहर के मद्देनज़र महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे कई राज्यों में गंभीर या आंशिक लॉकडाउन के हालात बन रहे हैं. इसी तरह जर्मनी में नए केसों की संख्या बढ़ रही है तो ईस्टर के त्योहार के मद्देनज़र एंजेला मर्केल सरकार ने नए सिरे से अप्रैल के मध्य तक सख्त लॉकडाउन लगाए जाने की कवायद की है. लेकिन जर्मनी अकेला नहीं है, जहां ऐसे हालात बन रहे हैं.
यूरोप में मुश्किल यह भी है कि एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन के कारण ब्लड क्लॉटिंग की शिकायतें पाए जाने के बाद इस वैक्सीन का इस्तेमाल कुछ देशों को रोकना भी पड़ा. एक्सपर्ट मान रहे हैं कि यूरोप में कोविड-19 की तीसरी लहर का प्रकोप जारी है, जिसके चलते कई देशों में प्रतिबंधों की सूरत बन रही है. देखिए कहां क्या हालात हैं.
मार्च के महीने में अब तक जर्मनी में आंशिक लॉकडाउन किया गया था और जहां संक्रमण कम था, उन इलाकों में म्यूज़ियम, स्टोर्स आदि स्थान खुले थे, लेकिन सीमित ढंग से. बीते कुछ हफ्तों में जब सख्त लॉकडाउन के बारे में आदेश हुए, लोगों ने सख्त लॉकडाउन का विरोध भी किया और पुलिस के साथ प्रदर्शनकारियों की मुठभेड़ें भी हुई थीं.
पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री जीन कैस्टेक्स ने पैरिस व अन्य प्रमुख स्थानों पर एक महीने लंबे लॉकडाउन का ऐलान किया था. फ्रेंच सरकार के फैसले के मुताबिक स्कूल और ज़रूरी दुकानें इस दौरान खुलेंगी यानी यह लॉकडाउन पहली लहर के समय लगे लॉकडाउन जितना सख्त नहीं होगा. नए लॉकडाउन की गाइडलाइनों में कहा गया है कि लोग अपने घर से 10 किलोमीटर के दायरे में व्यायाम के लिए बाहर जा सकेंगे लेकिन गैर ज़रूरी घूमने फिरने पर पूरी तरह बैन रहेगा.
पिछले हफ्ते ही इटली पहला यूरोपीय देश बना, जिसने कोरोना की नई लहर के चलते राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन लगा दिया. कोरोना के मामलों के बढ़ते ही करीब साल भर पहले के बुरे अनुभवों के चलते यह फैसला किया गया. खास तौर से ईस्टर वीकेंड के दौरान 3 से 5 अप्रैल के बीच पूरा इटली पूरी तरह बंद रहेगा. हालात ये हैं कि इटली में मार्च की शुरूआत से ही हर हफ्ते 22,000 नए केस और 360 मौतें हो रही हैं. नई गाइडलाइनों के मुताबिक जिन इलाकों में 1 लाख की आबादी पर 250 से ज़्यादा नए केस एक दिन में होंगे, उन्हें रेड ज़ोन बना दिया जाएगा.
राष्ट्रपति आंद्रेज़ेज ड्यूडा ने संसद में खुले शब्दों में कहा कि हालात बहुत खराब हैं और बुनियादी ज़रूरत यही है कि संक्रमण की रोकथाम की जाए. इसके बाद पिछले हफ्ते ही देश भर में सरकार ने लॉकडाउन का ऐलान कर दिया. मॉल, स्वीमिंग पूल, सिनेमाघरों, होटलों व गैर ज़रूरी स्टोरों के लिए सीमित तौर पर खुलने की गाइडलाइन दी गई है और पहली क्लास से बच्चों की डिजिटल लर्निंग व्यवस्था को 9 अप्रैल तक जारी रखने के निर्देश हैं.
इस यूरोपीय देश में एक बार फिर अपील की जा रही है कि वर्क फ्रॉम होम को ही बढ़ावा दिया जाए. 8 मार्च से 7 अप्रैल तक यहां लॉकडाउन के चलते प्राइमरी तक स्कूल बंद कर दिए गए, प्राइवेट हेल्थकेयर को छोड़कर कई सेवाएं इस महीने के आखिर तक बंद की गईं. हंगरी में पार्क आदि खुले हैं लेकिन जिम और फिटनेस सेंटरों को बंद किया गया है. इसी तरह, यूक्रेन में सिर्फ फूड और मेडिकल मार्केट खुले रहने की इजाज़त दी गई है.
कहीं कुछ प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं, तो कहीं नही. मियामी बीच पर हज़ार से ज़्यादा लोग गिरफ्तार किए गए क्योंकि उन्होंने लॉकडाउन नियमों का उल्लंघन किया. लेकिन यहां राष्ट्रीय स्तर पर या सख्त लॉकडाउन की घोषणा नहीं हुई है जबकि संक्रमण खासा बना हुआ है. इसी तरह ब्राज़ील में भी लोकल स्तर पर लॉकडाउन जैसे प्रतिबंध हैं लेकिन देश भर के लिए कोई नीति नहीं है. इन दोनों ही देशों में वैक्सीन कार्यक्रम पर फोकस है, सतर्कता के लिए प्रतिबंधों पर नहीं.