
टेकः बीते साल स्मार्टफोन एक्सपोर्ट के मामले में भारत ने जोरदार इजाफा दर्ज किया है। इसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी Apple की रही है। Apple ने मेड इन इंडिया iPhone को पूरी दुनिया में भारत से एक्सपोर्ट किया, जिसका भारत को जमकर फायदा मिला। भारत उन 10 देशों की लिस्ट में शामिल हो गया, जहां से सबसे ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक एक्सपोर्ट किया गया है। भारत पहली बार 2.5 लाख करोड़ एक्सपोर्ट के आंकड़े को पार कर गया है। कुल इलेक्ट्रॉनिक एक्सपोर्ट में अकेले स्मार्टफोन की हिस्सेदारी 60 फीसद रही है।
रेसिप्रोकल टैरिफ का मतलब है एक समान टैरिफ। ट्रंप का कहना है कि अगर कोई देश अमेरिकी सामान पर ज्यादा टैरिफ लगाता है, तो उतना ही टैरिफ अमेरिका भी उस देश पर लगाएगा। आसान शब्दों में समझें, तो भारत लोकली स्मार्टफोन प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के लिए बाहर से आने वाले स्मार्टफोन पर ज्यादा टैरिफ लगाता है, तो अमेरिका भी भारत में बनने वाले स्मार्टफोन के अमेरिका में बेचे जाने पर ज्यादा टैरिफ लगाएगा।
क्या होगा भारत पर टैरिफ का असर
टैरिफ एक तरह का बॉडर शुल्क या कहें कि टैक्स है, जो विदेशों से आने वाले सामान पर लगाया जाता है। टैरिफ के जरिए ही सरकारों की इनकम में इजाफा होता है। टैरिफ को लगाने के पीछे का एक कारण ये भी है कि देश इसके जरिए घरेलू प्रोडक्शन को बढ़ावा देता है, जो अन्य देशों से आने वाले सामान के मुकाबले सस्ते होते हैं।
Apple को टैरिफ से सबसे ज्यादा नुकसान
अगर ट्रंप प्रशासन इंडिया से इलेक्ट्रॉनिक्स और स्मार्टफोन के आयात पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का फैसला करता है, तो Apple को सबसे ज्यादा नुकसान होगा, क्योंकि इस फैसले से ऐपलके मैन्युफैक्चरिंग इन्वेस्टमेंट के प्लान बीच में लटक सकते हैं। अगर अमेरिका इंडिया से आने वाले प्रोडक्ट्स पर टैरिफ बढ़ाता है, तो उन्हें अपना बिजनेस खोने का खतरा रहता है।
भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को होगा नुकसान
भारत दूसरे देश से आने वाले फोन और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट्स पर 16.5 फीसद ड्यूटी लगाता है। अगर ट्रंप भारत से अमेरिका भेजे जाने वाले स्मार्टफोन्स और इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट्स पर 16.5 फीसद की रेसिप्रोकल ड्यूटी लगाते हैं, तो भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को जोरदार नुकसान होगा।