धर्मः दीपावली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी आती है, जिसे छोटी दीपावली, रूप चौदस, भूत चतुर्दशी और नरक निवारण चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन यम दीप जलाया जाता है। यह यम दीप क्यों जलाया जाता है और इसकी जलाने की क्या विधि होती है। आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे। जानकारी अनुसार अपने पूर्वजों को दीप दान करने को ही यम दीप कहा जाता है, यानी सरल भाषा में समझे, तो जो आपके पूर्वज मृतप्राय हो चुके हैं, उनको दीपदान किया जाता है। इस दीपदान के भी अपने महत्व हैं और इसे जलाने के वक्त एक मंत्र भी कहा जाता है। यम दीप घर के मुख्य द्वार पर और एक जहां घर के कचरे फेंके जाते हैं, उस स्थान पर यम दीप को जलाया जाता है। उसमें गाय के गोबर से निर्मित दीपक को ही जलाया जाता है। जिसे दक्षिण दिशा की ओर जलाते हैं। आज शाम 6:32 से लेकर 8:28 के बीच में इस दीप को यम दीप को जलाने का शुभ मुहूर्त है।
यम दीपक जलाने की मान्यताः इसकी पौराणिक मान्यता है कि इस दीपक के जलने का महत्व एक यह भी बताया जाता है, यम देवता से और अपने पितृ वर्ग से परिवार की रक्षा के लिए यम दीप जलाकर प्रार्थना की जाती है। ऐसा करने से परिवार में अकाल मृत्यु का भय कम होता है। इस दीपक को घर से बाहर जलाया जाता है। इसके पीछे की भी एक अपनी पौराणिक मान्यता है। यह दीपक पितृ वर्ग और यम देवता के लिए जलाया जाता है, जो मृत्यु के देवता हैं और जिस कारण से इसे घर से बाहर जलाया जाता है।