संगरूर: किसानों की मांगों को लेकर 8 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को 25 नवंबर को खनौरी बॉर्डर से आधी रात को हिरासत में लेने की घटना से किसान सतर्क हो गए हैं। अब खनौरी बॉर्डर पर मोर्चा स्थल पर किसानों ने डल्लेवाल की सुरक्षा कड़ी कर दी है। 40-40 किसान वालंटियर हाथों में लाठियां लेकर तीन लेयर में 24 घंटे पहरा दे रहे हैं। आठ घंटे में इनकी शिफ्ट बदलती रहती है। डल्लेवाल से किसी को भी मुलाकात करने की इजाजत नहीं है। केवल संगठन के आला नेता, मेडिकल टीम व मीडिया को ही मिलने दिया जाता है। सेहत को ध्यान में रखते हुए उनसे कम से कम बातचीत के लिए समय दिया जाता है।
मंगलवार को हरियाणा से किसानों का एक बड़ा जत्था भी खनौरी बॉर्डर पर पहुंचा। डल्लेवाल ने भी कहा कि वह किसानों को उनका हक दिलाने के लिए आखिरी सांस तक अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। वहीं, किसान छह दिसंबर को शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच को लेकर अड़े हैं। इसकी तैयारियां भी तेज कर दी है। सोमवार को अंबाला पुलिस के अधिकारियों के साथ बैठक में भी किसान नेता स्पष्ट कर चुके हैं कि वे शंभू बॉर्डर से ही पैदल दिल्ली के लिए कूच करेंगे। फरवरी माह से खनौरी बॉर्डर पर किसानों का धरना चल रहा है। धरने को संबोधित करने के लिए हरियाणा बॉर्डर से करीब 100 मीटर दूर स्टेज स्थापित की गई थी, जिसे अब करीब 800 मीटर पीछे हटा लिया गया है। किसान नेताओं को डर है कि कहीं हरियाणा पुलिस मंच तक न पहुंच जाए।
कैंसर व शुगर से पीड़ित डल्लेवाल का वजन लगातार कम हो रहा है। आमरण अनशन के आठवें दिन मंगलवार को डाक्टरों ने मेडिकल जांच की तो आठ किलो वजन कम निकला। शुगर 73 व बीपी 145/99 था। डल्लेवाल ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार हमेशा किसान आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की है। खनौरी बार्डर पर भाकियू सिद्धूरपुर के प्रांतीय प्रधान जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन मंगलवार को आठवें दिन भी जारी रहा।
मंगलवार को हरियाणा से किसानों का एक बड़ा जत्था खनौरी बॉर्डर पर पहुंचा व उन्होंने आश्वासन दिलाया कि वह आखिरी सांस तक किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के साथ रहेंगे। डल्लेवाल ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि नोएडा में किसानों पर अत्याचार लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। वर्ष 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून को बनाने के लिए देश के किसानों ने लंबी लड़ाई लड़ी है, जिसे भाजपा सरकार ने कमजोर करने की कोशिश की है। पंजाब सरकार द्वारा लुधियाना में काले पानी के खिलाफ चल रहे आंदोलन को कुचलने की कोशिश की जा रही है, जो सरासर गलत है।