Highlights:
- पंजाब पुलिस ने Digital Arrest साइबर फ्रॉड में शामिल गैंग का भंडाफोड़ करते हुए असम से दो आरोपियों को गिरफ्तार किया।
- गैंग ने ₹15 करोड़ की ठगी को अंजाम दिया, जो सात राज्यों में फैली है।
- पीड़ितों को कानून प्रवर्तन एजेंसी का डर दिखाकर ठगा गया, जांच में अंतरराष्ट्रीय लिंक का भी खुलासा।
एनकाउंटर न्यूज़, 19 नवंबर, 2024: पंजाब पुलिस के साइबर क्राइम डिवीजन ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ साइबर फ्रॉड में शामिल अंतरराज्यीय गैंग का पर्दाफाश किया है। इस मामले में असम के दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान नजरुल अली और मिदुल अली के रूप में हुई है, जो असम के कामरूप जिले के निवासी हैं।
क्या है डिजिटल अरेस्ट साइबर फ्रॉड?
Digital Arrest एक साइबर फ्रॉड तकनीक है, जिसमें धोखेबाज खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी बताकर पीड़ित को डराते हैं। पीड़ित को यह विश्वास दिलाया जाता है कि वह किसी गंभीर अपराध में शामिल है और उसे तुरंत पैसा जमा करना होगा ताकि उसे कानूनी कार्यवाही से बचाया जा सके।
कैसे हुआ खुलासा?
पंजाब के एक 76 वर्षीय सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी ने शिकायत दर्ज कराई कि कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने खुद को मुंबई साइबर क्राइम विभाग का अधिकारी बताते हुए उनसे ₹76 लाख ठग लिए। पीड़ित को व्हाट्सएप कॉल के जरिए डिजिटल अरेस्ट में रखा गया और दावा किया गया कि उनका नाम मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसाया गया है।
जांच और गिरफ्तारियां
पंजाब पुलिस के डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (DGP) गौरव यादव ने बताया कि इस शिकायत के बाद मामला दर्ज किया गया और जांच शुरू हुई। जांच में पाया गया कि आरोपी कम से कम 11 अन्य साइबर फ्रॉड मामलों में भी शामिल हैं, जिनमें सात राज्यों से ₹15 करोड़ की ठगी हुई है।
जांच के दौरान यह भी पता चला कि फ्रॉड कॉल्स कंबोडिया और हांगकांग से की गई थीं। इसके लिए व्हाट्सएप और स्काइप जैसे प्लेटफॉर्म का उपयोग किया गया।
आरोपियों की भूमिका
ADGP साइबरक्राइम डिवीजन वी. नीरजा ने बताया कि आरोपियों में से एक, नजरुल अली, उस बैंक खाते का मालिक था जिसमें ठगी की रकम जमा की गई। दूसरा आरोपी, मिदुल अली, इस खाते को खोलने में मदद करता था। दोनों आरोपियों को पंजाब पुलिस की टीम ने असम के कामरूप जिले से गिरफ्तार किया और मोहाली लाकर पूछताछ की जा रही है।
बैंक अधिकारियों पर भी कार्रवाई
ADGP नीरजा ने बताया कि इस मामले में उन बैंक अधिकारियों को भी समन जारी किए गए हैं, जिन्होंने आरोपियों के खाते खोलने में मदद की। यह जानकारी इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) पोर्टल पर अन्य राज्यों के साथ साझा की जा रही है।
मामले में FIR नंबर 25 दर्ज की गई है, जिसमें भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 308(2), 318(4), 319(2), और 61(2) तथा आईटी एक्ट की धारा 66(C) और 66(D) के तहत कार्रवाई की जा रही है।