
चंडीगढ़। विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को पटियाला में जहां बड़ा झटका लगा है। वहीं, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने पार्टी की परेशानी और बढ़ा दी है। यह दोनों ही घटनाएं कांग्रेस पार्टी के लिए आने वाले समय में मुसीबत खड़ी कर सकती हैं। सिद्धू ने मोगा के बाघापुराना में रैली के दौरान घोषणा कर दी कि अगर सरकार एसटीएफ की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करती है तो वह मरणव्रत पर बैठेंगे। वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस सरकार एड़ी चोटी का जोर लगाने के बावजूद मेयर संजीव शर्मा बिट्टू के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास नहीं करवा पाई।
पटियाला में पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने हक में 25 विधायकों को खड़ा कर न सिर्फ नगर निगम में कांग्रेस को दो फाड़ कर दिया बल्कि यह भी संकेत दे दिए कि वह अभी भी कैप्टन है। कांग्रेस पिछले लंबे समय से कैप्टन अम¨रदर ¨सह के गृह नगर पटियाला में कैप्टन समर्थक मेयर को हटाने के लिए जोर लगा रही थी। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी भी यहां पर बैठक कर चुके थे, जबकि एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने भी पटियाला का दौरा किया था।
कांग्रेस ने पार्टी पार्षदों को संकेत देने के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी व पटियाला की सांसद परनीत कौर को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था। इसके बावजूद मेयर संजीव शर्मा बिट्टू को पद से हटाने के लिए दो तिहाई बहुमत हासिल नहीं कर पाई। 60 पार्षदों वाले पटियाला नगर निगम में मेयर को हटाने के लिए कांग्रेस को 42 वोटों को आवश्यकता थी लेकिन वह अपने समर्थन में 36 वोट ही हासिल कर पाई। 25 वोट बिट्टू के हक में गए।
बता दें कि पटियाला नगर निगम में तीन विधायक भी वोट कर सकते हैं। इनमें कैप्टन अमरिंदर सिंह, ब्रह्म मोहिंदरा और हरिंदर पाल सिंह चंदूमाजरा शामिल हैं। कांग्रेस का जोर मेयर को हटाने के लिए लगा हुआ था। इसे कैप्टन की जीत और कांग्रेस की हार के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि कांग्रेस ने बाद में बिट्टू को सस्पेंड जरूर कर दिया।