पटियालाः पंजाब में एक बार फिर से पराली जलाने के मामले सामने आने लगे है। दरअसल, हाल ही में सरकार ने धान की कटाई के बाद पराली जलाने वालों पर अंकुश के लिए कई प्रत्यन किए थे। जिसके बाद काफी हद तक सरकार ने अकुंश लगा भी लिया था। लेकिन अब दोबारा पराली जलाने के मामले सामने आने पर लगता है कि एक बार फिर से सरकार को जद्दोजहद करनी पड़ेगी।
मिली जानकारी के अनुसार पंजाब पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने 9 केस अमृतसर में पाए हैं, वहीं एक-एक केस तरनतारन और फिरोजपुर में सामने आया है। यह सभी 11 केस 15 सितंबर को ही सामने आ गए थे। बता दें कि पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड हर साल 15 सितंबर से 30 नवंबर तक राज्य में पराली जलाए जाने के केसों की मानिटरिंग करता है। धान की पराली जलाए जाने से वातावरण प्रदूषित होने के कारण पंजाब पिछले कई सालों से चर्चा में बना हुआ है। हालांकि बीते सालों के दौरान पराली को न जलाकर इसका दूसरे तरीके से निस्तारण करने के प्रयास राज्य सरकार द्वारा लगातार किए जाते रहे हैं लेकिन फिर भी हर हाल बड़ी संख्या में पराली जलाए जाने के केस सामने आते रहे हैं।
अगर पिछले सालों पर गौर करें तो साल 2022 में जहां राज्य में पराली जलाए जाने के 49922 के सामने आए थे वहीं साल 2023 में 36663 केस थे। राज्य सरकार के लिए संतोष की बात यह रही कि साल 2022 के विपरीत साल 2023 में पराली जलाने के केसों में 26 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई। हालांकि पंजाब सरकार ने पराली जलाने पर जुर्माना किया है लेकिन इस जुर्माने की वसूली लगभग न के समान ही रही है।
बीते वर्ष ही पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने दस हजार से ज्यादा केसों में ढाई करोड़ रुपए से ज्यादा जुर्माना किया लेकिन इसमें से वसूली महज 1.88 करोड़ रुपए की ही हो सकी। इस बारे में पंजाब पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के चेयमरैन प्रो. आदर्शपाल विग का कहना है कि उनकी प्राथमिकता पराली जलाने वाले किसानों को जुर्माना करने की नहीं बल्कि उन्हें इस बारे में जागरूक करने की है कि वह पराली न जलाएं। पराली को खेत में मिला दिया जाए। इसके लिए खेतीबाड़ी महकमे द्वारा सब्सिडी पर आवश्यक मशीनरी भी मुहैया करवायी जाती है। इस साल भी ऐसा ही किया जा रहा है और किसानों को इस बारे में जागरूर करने के लिए खेतीबाड़ी महकमे के साथ मिलकर सेमिनारों का सिलसिला शुरू किया जा चुका है।