लुधियानाः पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से भोग में शामिल होने के लिए बलवंत सिंह राजोआना को 3 घंटे के पैरोल मिली थी। इस दौरान राजोआना कलां गांव में मंजी साहिब गुरुद्वारे में भाई कुलवंत सिंह के भोग कार्यक्रम में बलवंत सिंह राजोआना शामिल हुआ। उन्होंने कहा कि शहीद भाई गोल्डी के घर में उनका दूसरा जन्म हुआ, जहां उन्होंने मुझे अपने बच्चे की तरह रखा। उन्होंने कहा कि मुझे जेल में 30 साल हो गए है। उन्होंने कहा कि परमात्मा की ऐसी कृपा हुई कि उन्हें इस मिशन में कोई दिक्कत नहीं और उनका मिशन सफल हुआ।
राजोआना ने कहा कि उनकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी। उन्होंने कहा कि जब भी सिख का कत्लेआम हुआ तो सभी ने मिलकर इंसाफ की लड़ाई लड़ी। उन्होंने कहा कि इस कौमी संघर्ष में दिलावर सिंह शहीद हो गए। वहीं भाई के भोग के दौरान बलवंत सिंह राजोआना ने कहा कि ‘मुझे आज भी वो सीन याद है। मैं और दिलावर मां-पिता से आशीर्वाद लेकर घर से मिशन पर निकले थे। उस समय हमारे कदम ऐसे चल रहे थे, जैसे जल्दी मंजिल की तरफ पहुंच रहे हों। परमात्मा की ऐसी कृपा हुई, हमारे मिशन में किसी तरह की दिक्कत नहीं आई।
दिलावर सिंह ने शहादत दी। उन्हें कौमी शहीद का दर्जा भी सिख कौम ने दिया।’ 3 घंटे के लिए मिली पैरोल के बाद दोबारा से कड़ी सुरक्षा में राजोआना को वापस पटियाला ले जाया गया। श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए बलवंत सिंह राजोआना ने कहा कि पिछले दिनों आपसी झगड़ों के कारण सिख संगठन कमजोर हुए हैं। उन्होंने कहा कि वह बुलारे नहीं हैं और ना ही उन्हें भाषण देना आता, लेकिन जो दिल में होगा मैं वही करूंगा। उन्होंने कहा कि अगर हमारी संस्थाएं कमजोर होंगी तो हमारे साथ अन्याय होता रहेगा।
उन्होंने कहा कि 31 मार्च 2012 को जब मुझे फांसी देने का आदेश दिया गया तो सिख समुदाय ने अपने घरों पर केसरी झंडे फहराये और एकजुट होकर मेरी फांसी रुकवा दी थी। उन्होंने कहा कि 12 साल बाद भी उनके मामले में कोई फैसला नहीं लिया गया है। उन्होंने कहा कि वे इतने सालों से जेल में बंद हैं लेकिन फांसी के मामले का फैसला नहीं हो रहा है। राजोआना ने कहा कि उन्होंने जो किया, उसे कोर्ट में कबूल कर लिया है।
राजोआना ने कहा कि उन्होंने कभी भी मौत की सज़ा के ख़िलाफ़ अपील नहीं की। वे सिर्फ केस के फैसले की मांग कर रहे है। उन्होंने कहा कि सरकार उन्हें कह रही है कि अपना वकील करके कोर्ट में केस लड़े। उन्होंने भोग समारोह में शामिल होने के लिए अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह, शिरोमणि समिति के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी, वरिष्ठ अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया और अन्य को धन्यवाद किया।
वहीं बिक्रम मजीठिया ने कहा कि बलवंत सिंह राजोआना को भाई के भोग पर 3 घंटे की पैरोल मिलने पर कहा कि देश में 2 कानून नहीं होने चाहिए। उन्होंने कहा कि देश की कोर्ट पर उन्हें पूर्ण विश्वास है। ऐसे में वह उम्मीद करते है कि बलवंत सिंह राजोआना को जल्द कोर्ट से रिहाई मिले और वह दोबारा से परिवार के सेवा कर सके। उन्होंने कहा कि बलवंत सिंह के परिवार को आज नौकरी इसलिए नहीं मिल रही क्योंकि वह बलवंत सिंह के करीबी है।