लुधियानाः पंजाब में धान के खेतों में आग लगाने के 114 मामले सामने आए हैं। हालांकि पिछले साल के आंकड़ों को देखा जाए तो पिछले साल के मुकाबले आग लगाने के मामलों में 82 फीसदी की कमी आई है, कृषि विभाग ने किसानों को जागरूक करने के लिए अभियान जारी रखा है। दरअसल, इस समय पूरे पंजाब में धान की कटाई जोरों पर चल रही है। किसान धान की खरीद के लिए मंडियों में जा रहे हैं। लेकिन पंजाब के कई इलाकों में किसान खेतों में धान के खेतों में आग लगा रहे हैं, जिससे काफी प्रदूषण फैल रहा है।
वहीं सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रदूषण को रोकने के लिए पंजाब सरकार को आदेश जारी किए जा चुके है। जिसके बाद इस प्रदूषण को रोकने के लिए पंजाब सरकार के कृषि विभाग की ओर से लगातार कदम उठाए जा रहे हैं। किसानों को न सिर्फ धान में आग लगाने के लिए जागरूक किया जा रहा है, बल्कि अगर कोई कानून का उल्लंघन करता है तो उससे जुर्माना भी वसूला जा रहा है। किसानों द्वारा पराली को आग लगाने वाले किसानों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की जा रही है और रेड इंट्री भी जारी की जा रही है। लुधियाना अब तक करीब 114 खेतों में आग लगाने के मामले सामने आए हैं, लेकिन इनमें ज्यादातर जगहों पर मौका देखकर कार्रवाई की गई तो वहां आग नहीं लगी हुई थी।
इस संबंध में जिला कृषि खेतीबाड़ी अफसर प्रकाश सिंह ने बताया कि पिछले साल इस तिथि तक आगजनी के 634 मामले सामने आये थे, लेकिन इस बार 82 प्रतिशत की कमी आयी है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से अभी गेहूं की बुआई का समय है और जो डीएपी की समस्या आ रही है। उसके बदले में एनपीके और टीसीपी नए उर्वरकों का उपयोग किसान कर सकते हैं। कृषि अधिकारी ने कहा कि पूरे पंजाब में डीएपी की कमी चल रही है। अगर लुधियाना की बात करें तो लुधियाना में भी 45 फीसदी डीएपी की कमी है, लेकिन फिर भी प्रशासन डीएपी विक्रेताओं पर कड़ी नजर रख रहा है ताकि कोई डीएपी ब्लैक न करें।