
जालंधर (अनिल वर्मा)। सूबे में जालंधर मीडिया की राजधानी माना जाता है कोरोना महामारी दौरान भी मीडिया कर्मियों ने जिला प्रशासन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर फ्रंटलाइनर बनकर अपनी भूमिका निभा कर एक मिसाल पेश की थी जबकि लोग अपनी जान बचाने के लिए घरों में कोरेंटाइन थे परन्तु मीडियाकर्मी प्रशासन और पुलिस के साथ मिलकर लोगों को जागरूक करने में लगे हुए थे। अब जब वैक्सीन सरकार के पास उपलब्ध है पुलिसकर्मियों और हैल्थ वर्करों को तो सरकार वैक्सिनेशन करवा रही है परन्तु वैक्सिनेशन की इस मुहिम में जिला प्रशासन की ओर से मीडिया कर्मियों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है। फ्रंटलाइनर हेल्थ वर्कर तथा पुलिस अधिकारियों को ही माना जा रहा है जोकि मीडिया कर्मियों की भावनाओं से खिलवाड़ करने के बराबर है बहुत से मीडिया कर्मी ऐसे भी हैं जिन्होंने पल-पल की खबरें तथा अपडेट देने के लिए फील्ड में उतरकर अपनी जान दांव पर लगाई थी मगर जिला प्रशासन की ओर से किसी भी मीडिया कर्मी को सम्मान पत्र भी नहीं दिया गया जबकि यह सम्मान पत्र भी पुलिस तथा हेल्थ वर्करों तक ही सीमित रहे।
इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार सुनील रुद्रा ने कहा कि जिला प्रशासन जानबूझकर पत्रकारों के साथ सौतेला व्यवहार कर रहा है तथा इससे पहले भी जालंधर के डिप्टी कमिश्नर घनश्याम थोरी से भी पत्रकारों ने कोरोना वैक्सीन लगवाने की मांग की थी मगर अभी तक मीडिया कर्मियों को जालंधर में फ्रंटलाइनर का दर्जा नहीं दिया गया जबकि लुधियाना में मीडिया कर्मियों को फ्रंटलाइनर घोषित करते हुए उन्हें कोरोना वैक्सीनेशन दी जा रही है।
जब इस मामले में डीसी घनश्याम थोरी से बात कि तो उन्होंने कहा कि हम यह प्रपोजल जल्द ही पंजाब सरकार को भेजेंगे ताकि पत्रकारों तथा और भी लोगों की वैक्सीनेशन हो सके।