
जालंधर कैंट (गुलाटी)। कैंट बोर्ड प्रशासन कैंट में अपने ही बनाये नियमों को लागू करवाने असफल साबित हो रहा है। कैंट बोर्ड प्रशासन की ओर से 15.9.1995 में कैंट को नो-कैटल जोन घोषित किया गया था और तब से लेकर अब तक कैंट को नो कैंटल जोन नहीं बनाया जा सका है। इस बाबत कैंट बोर्ड की ओर से समय-समय पर समाचार पत्रों में डेयरी मालिकों व पशु पालन करने वालों को चेतावनी दी जा चुकी है कि वह अपने पशु कैंट क्षेत्र से बाहर ले जाये वरना उन पर कानूनी कार्यवाही की जायेगी लेकिन समाचार पत्रों में हजारों रुपये की राशि भी खर्च करने के बावजूद भी कैंट में अभी भी पशु पालन किया जा रहा है और ऐसा नहीं इस बाबत की भनक कैंट बोर्ड प्रशासन को नहीं है। प्रशासन पूरी तरह से जानता है, लेकिन फिर भी डेयरी व पशु पालान वालों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जाती है। इस तरह अपने ही नियमों को पालना न करवाने में नाकाम साबित होने पर कैंट बोर्ड की कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान लगना संभाविक हो जाता है।