
डीलरों ने युद्धस्तर पर शुरु किया काम
जालंधर, अनिल वर्माः निगम प्रशासन द्वारा वडिंग की जिस अवैध कालोनी की जाली एनओसी का खुलासा कर वाहवाही लूटी गई थी और इस केस में कालोनाईजर सहित डीलरों खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने के लिए पुलिस कमिशनर आफिस को पत्र भेजा था, उस केस में उस वक्त निगम तथा पुलिस प्रशासन की पोल खुल गई। जब यहां डीलरों ने दोबारा धड़ल्ले से अवैध कोठियों का काम शुरु कर दिया। मामले सबंधी जब मौके का दौरा किया गया तो सामने आया कि यहां जिन कोठियों ने निगम के बिल्डिंग विभाग ने अवैध घोषित कर डैमोलेशन ड्राईव चलाई थी उन्हीं कोठियों को अब रिपेयर का काम शुरु कर दिया गया है। यहां एक कोठी को बनाने के लिए10 मिस्त्री तथा 20 लेबर को लगाया गया है। मौके पर 4 कोठियों का काम चल रहा है, जहां 100 से ज्यादा लेबर लगी हुई है।
इस मामले में बीते दिनों पुलिस प्रशासन द्वारा जांच कर रहे है। स्पैशल ब्रांच के एसीपी की ओर से बिल्डिंग विभाग को वड़िग की अवैध कालोनी संबधी दस्तावेज तथा कुछ सवालों के जवाब देने के लिए पत्र भेजा गया था। जिसके तुरंत बात सभी सवालों का ज्वाब भेजा गया। उसी के साथ कालोनी संबधी पॉवर ऑफ अटार्नी, रजिस्ट्रियों की कॉपियां भेजी गई। इन दस्तावेजों में हरजिंदर कौर विधवा रनजोध सिंह द्वारा मनोज कुमार मंदोत्रा पुत्र कृष्ण देव वासी 15 वडिंग स्टेडियम गोल्डन कॉलोनी फेस 1 के नाम पर पॉवर ऑफ अटार्नी की गई थी। जिसके बाद प्लाटों को छोटा करके बेचा जा रहा था। यहां डीलरों द्वारा 4-4 मरले के प्लाट खरीद कर वहां बेचने के लिए कोठियां बनाई जा रही थी। जिनकी जाली एनओसी के आधार पर बिल्डिंग विभाग की एटीपी सुखप्रीत कौर द्वारा 3 नक्शे भी पास कर दिए गए थे। खुलासा होन के बाद तीनों नक्शों को रिवोक कर दिया गया। अभी यह मामला शांत भी नहीं हुआ था कि यहां डीलरों ने दोबारा कंस्ट्रक्शन का काम शुरु कर निगम प्रशासन तथा पुलिस प्रशासन की पोल खोल दी।
कॉलोनी में चल रहे काम को देख कर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मानो जालंधर के दोनों बड़े विभाग के अफसरों ने कालोनाईजर के आगे घुटने टेक दिए और यहां पहले की तरह काम दोबारा शुरु कर दिया गया। इस मामले में निगम कमिशनर गौतम जैन को एक शिकायत मिली है। जिसमें शिकायतकर्ता ने मौके की वीडियो बना कर इस कॉलोनी का दोबारा खुलासा किया है। शिकायतकर्ता ने कहा कि वह इस मामले की शिकायत लोकपाल पंजाब को भेजने की तैयारी कर रहा है। क्योंकि पुलिस विभाग इस मामले में दोषी व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने में फेल साबित हो चुका है।