जालंधर, ENS: महानगर में हैरानीजनक मामला सामने आया है। जहां जिंदा व्यक्ति अपने मरने के प्रमाण पत्र लेकर प्रेस वार्ता करने पहुंच गया। दरअसल, लुधियाना के रहने वाले पवन कुमार व परमिंदर सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बताया कि परमिंदर सिंह ने एक जमीन पवन कुमार से कानूनी रूप से एकदम सही खरीद कर रजिस्ट्री करवाई थी। लेकिन बबलू नामक व्यक्ति ने जालसाजी करके जिंदा पवन कुमार का जाली डेथ सर्टिफिकेट बनाकर मरा हुआ घोषित कर उसकी प्रॉपर्टी को अपने नाम करवाने की कोशिश की गई। इस दौरान मामले तब सामने आया जब खरीददार और बेचने वाले के हस्तक्षेप करने पर यह मामला उलझता शुरू हो गया। जिसके बाद आज पवन ने प्रेस वार्ता करके प्रशासन के उच्च अधिकारियों से अपील की है कि वह उन्हें न्याय और इंसाफ दिलवा या जाए।
बता दें कि पवन कुमार ने जुलाई 2024 में लुधियाना कमिश्नर के सामने पेश होकर दावा किया था। व्यक्ति का आरोप है कि उसके जिंदा होने के बावजूद नगर निगम द्वारा उसका डेथ सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया। जिसके लिए आज वह जालंधर प्रशासन के पास पहुंचा है। पवन ने बताया कि उसके जिंदा होने के बावजूद जाली डेथ सर्टिफिकेट बनाने के मामले में नगर निगम ने जुलाई 2024 में सिविल सर्जन व एसडीएम ऑफिस के पाले में गेंद डाल दी थी।
पवन ने आरोप लगाए है कि बबलू नामक व्यक्ति ऑनलाइन उसके फर्जी सर्टीफिकेट लगाकर उसको मृत घोषित कर दिया और उसकी प्रॉपर्टी की पॉवर ऑफ अर्टानी अपने नाम कर ली। जिसको लेकर आज पवन इंसाफ की गुहार लगाने के लिए जालंधर पहुंचा। पवन ने बताया कि उसे प्रशासन द्वारा फर्जी सर्टीफिकेट जारी करके 2015 में मृत घोषित कर दिया गया। लेकिन आज जब वह कमिश्नर दफ्तर पहुंचा तो वहां पर उसे अधिकारियों ने बताया कि उनके पास उसका ऐसा कोई रिकार्ड नहीं है।
हालांकि जुलाई 2024 में पीड़ित की शिकायत के आधार पर कमिश्नर द्वारा लोकल रजिस्ट्रार को जांच करके जिम्मेदार मुलाजिमों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे। इस संबंध में नगर निगम द्वारा जो रिपोर्ट तैयार की गई, उसके मुताबिक लेट एंट्री के केस में डेथ सर्टिफिकेट जारी किया गया, जहां तक लेट एंट्री का सवाल है। उसके लिए पहले सिविल सर्जन व एस डी एम ऑफिस की मंजूरी लेने का दावा नगर निगम के ऑफिसर द्वारा किया गया। जिसके आधार पर जुलाई 2024 में इस मामले की जांच के लिए सिविल सर्जन व एस डी एम ऑफिस के पाले में गेंद डालने की कोशिश की गई।
इस मामले से जुड़ा हुआ एक पहलू यह भी है कि खुद को पवन कुमार की पत्नी बताकर आवेदन करने वाली महिला द्वारा डेथ सर्टिफिकेट जारी करने के लिए दिए गए दस्तावेजों की वेरीफिकेशन लुधियाना के दो विधायकों द्वारा की गई। हालांकि इससे पहले पार्षदों द्वारा इस तरह की वेरीफिकेशन की जाती थी, लेकिन नगर निगम के जनरल हाऊस का कार्यकाल पूरा होने के बाद पूर्व पार्षदों की वेरीफिकेशन को स्वीकार नहीं किया गया। जिसके बाद यह अधिकार भी विधायकों के पास चला गया। जिनके द्वारा इलाके के किसी जिम्मेदार व्यक्ति की गारंटी के साथ दस्तावेजों की वेरीफिकेशन की गई।
मिली जानकारी के मुताबिक डेथ सर्टिफिकेट जारी करने के लिए लेट एंट्री के मामले में पारिवारिक सदस्यों के एफिडेविट के अलावा संस्कार करने संबंधी श्मशान घाट की रसीद, अस्थियों के विसर्जन के सर्टिफिकेट या रस्म पगड़ी के कार्ड को आधार माना जाता है। इस मामले में अस्थियों के विसर्जन का सर्टिफिकेट लगाया गया। हैरानी की बात यहा हैकि जिस व्यक्ति की मृत्यु होने का दावा किया जा रहा है वो खुद हाथ में अपना डेथ सर्टिफिकेट लेकर घूम रहा है। जिससे अस्थियों के विसर्जन के सर्टिफिकेट पर सवाल खड़े हो गए हैं।