Highlights:
- न्याय को तकनीक और नवाचार के माध्यम से हर वर्ग तक पहुंचाने की आवश्यकता।
- बच्चों और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस कानूनी कदम।
- कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने के लिए NALSA और अन्य प्राधिकरणों की नई पहल।
चंडीगढ़, 18 नवंबर 2024 – चंडीगढ़ न्यायिक अकादमी में 17 नवंबर को आयोजित क्षेत्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण सम्मेलन ने सामाजिक न्याय और हाशिए पर खड़े समुदायों के सशक्तीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण चर्चा और नवाचारों को बढ़ावा दिया। इस कार्यक्रम में न्यायपालिका के दिग्गजों ने भाग लिया और न्याय को अधिक सुलभ बनाने के लिए ठोस समाधान पेश किए।
सम्मेलन की मुख्य झलकियां
- पीड़ित देखभाल और समर्थन योजना का शुभारंभ।
- बच्चों, महिलाओं और कमजोर वर्गों के लिए कानूनी सहायता को प्राथमिकता देने पर जोर।
- नशा उन्मूलन पर जागरूकता बढ़ाने के लिए एक विशेष वीडियो और मोबाइल ऐप लॉन्च।
इस ऐतिहासिक आयोजन में माननीय श्री न्यायमूर्ति भूषण आर. गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति तारलोक सिंह चौहान, और न्यायमूर्ति ताशी रबस्तान जैसे सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों ने भाग लिया। सभी ने कानूनी सहायता और सामाजिक न्याय की दिशा में अपने विचार साझा किए।
न्यायमूर्ति गवई ने संविधान के अनुच्छेद 39A के तहत मुफ्त कानूनी सहायता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने अंडरट्रायल कैदियों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की और बताया कि कैसे NALSA की नई पहल, जैसे लीगल एड डिफेंस काउंसिल प्रणाली और जेलों में कानूनी सहायता क्लीनिक, जरूरतमंदों को मदद पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कानूनी सहायता को पहले से बेहतर और सुलभ बनाने के लिए तकनीकी सुधारों की आवश्यकता है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने बाल अधिकारों पर जोर देते हुए कहा कि बच्चे समाज का सबसे कमजोर वर्ग हैं। उन्होंने बाल श्रम, शिक्षा की कमी और कोविड-19 के प्रभाव से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने सुझाव दिया कि बच्चों के लिए समर्पित कानूनों को मजबूत करने और प्रवासी श्रमिकों के बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रभावी नीति बनानी चाहिए।
हिमाचल प्रदेश के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश ने ग्रामीण और श्रमिक बस्तियों में कानूनी जागरूकता अभियान चलाने और कानूनी सेवाओं को आसान बनाने की रणनीतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हर नागरिक को न्याय का अधिकार मिलना चाहिए, चाहे उनकी आर्थिक स्थिति कैसी भी हो।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में चल रहे कानूनी सहायता प्राधिकरणों के प्रयासों को साझा किया। उनके अनुसार, लोक अदालतों और कानूनी साक्षरता अभियान जैसे कार्यक्रमों ने दूरदराज के इलाकों में भी न्याय पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
नवीन पहल और तकनीकी सुधार
सम्मेलन के दौरान निम्नलिखित नई पहलों का अनावरण किया गया:
- पीड़ित देखभाल और समर्थन योजना: अपराध के शिकार लोगों को संपूर्ण सहायता प्रदान करने के लिए।
- नशा उन्मूलन वीडियो: युवाओं और समाज में बढ़ते नशे की समस्या को रोकने के लिए।
- मोबाइल ऐप: कानूनी सेवाओं तक आसान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए।
सम्मेलन के दौरान, सभी वक्ताओं ने यह स्पष्ट किया कि न्याय केवल अदालतों तक सीमित नहीं रहना चाहिए। इसे समाज के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए कानूनी साक्षरता अभियान, समुदाय आउटरीच कार्यक्रम और तकनीकी नवाचार आवश्यक हैं।
सम्मेलन का समापन न्यायमूर्ति गुरमीत सिंह संधवालिया द्वारा किया गया, जिन्होंने आयोजन को सफल बनाने के लिए सभी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन न्याय तक पहुंच को सुगम बनाने और कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक मजबूत आधारशिला साबित होगा।
Related
No related posts.